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तमाम एक्जिट पोल के बावजूद बाकी है जनादेश का सरप्राइज

खरी-खरी            Nov 07, 2015


pawan-lalchandपवन लालचंद तमाम एक्ज़िट पोल और अनुमानों के बावजूद मुझे अभी भी लगता है कि बिहार के जनादेश का सरप्राइजिंग तत्व बाकी है और जो कल दिखायी देगा। पिछले कुछेक वर्षों के वोटिंग पैटर्न और नतीजों को देखकर वोटिंग के बाद आने वाले अनुमान कहीं से कहीं सटीक नहीं जान पड़ते..इसलिये किसी को बहुमत न मिले और एक गठबंधन उन्नीस तो दूसरा बीस रहेगा ऐसा मैं आज तो नहीं मान रहा हूँ। इसकी कुछ सामान्य और सीधी सी वजहें भी देखता हूँ .. खुद बिहार ने ही 2005 के बाद त्रिशंकु विधानसभा तस्वीर और राष्ट्रपति राज को रास्ता दिखाकर स्पष्ट बहुमत की सरकार दी है। दूसरा रास्ता आधे देश के बराबर और सबसे ज्यादा राजनीतिक अहमियत वाले राज्य यूपी ने दिखाया..। मायावती अकेले दम गठबंधन लटकन सरकार राज खत्म कर पायी फिर मायावती से तंग आये तो सपा को और मजबूत बहुमत दे दिया..और कई राज्यों में भी दिखा। फिर 2014 में मोदी युग भी ऐसे ही आया..तो ये तो बिहार है बबुआ यहाँ तो बच्चा भी राजनीत पढ़कर आवत है...सरकार स्पष्ट बहुमत की बनेगी मुझे लगता है...। दूसरी बड़ी बात ये है कि जब नेता, नीति और नियत देखकर जनता तिलक कर रही है(मोदी,केजरीवाल इससे पहले शीला,शिवराज, रमन, वसुंधरा,ममता,दक्षिण भगवा फ़तह में येदियुरप्पा) तब बिहार में भी चेहरा क्यों न चलेगा...। एनडीए गठबंधन स्थानीय नेतृत्व के अकाल में पीएम मोदी को आगे कर जीतना चाह रहा है लेकिन महागठबंधन की अगुआई नीतीश के हाथ है और बिहार की जनता ने दस सालों में नीतीश का काम देखा है। जातीय गोलबंदी के लिये बीजेपी ने ब्राह्मण बनिया भूमिहार राजपूत कुशवाह माँझी का मंच सजाया और महागठबंधन को यादव मुसलमान कुर्मी के अलावा कई पिछड़ी और महादलित जातियों के समर्थन की उम्मीद है...। फिर बीजेपी नेताओं की चुनावी रणनीति में बिखराव कभी आरक्षण विरोध पर भागवतकथा पर सफ़ाई कभी पीएम-शाह के पोस्टर हटाने की बात, पाकिस्तान पटाखा फोड़ू बयान आदि आदि. लालू का चढ़कर मोदी-शाह के हर वार का पलटवार और नीतीश डीएनए का दाँव आदि आदि काफी कुछ कह देता है..। नतीजे कुछ घंटे दूर हैं लेकिन पहले भी कहा था फिर कहे देता हूँ बिहार चुनाव में कैंपेनिंग, वोटिंग, महँगाई, मुद्दों के मोर्चे पर कमज़ोर पड़ने जैसे कई संकेत मुझे ये कहने पर मजबूर कर रहे हैं कि बिहार में नीतीश का राजतिलक होगा....और सरकार बनेगी तो अच्छे बहुमत वाली ही....ये तीखा मुक़ाबला है का जुमला स्टूडियो मीडिया तक ठीक है जनता में तो नहीं दिखा. दिखता तो वोटिंग पैंसठ पार होती.. और हाँ अरहर मोदीराज के बाद भी हरहर मोदीराज हुआ तो फिर वाकई अच्छे दिन आये हुए होंगे ये मान लूँगा


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