तुम तो मुखिया थे ना,फिर टेंटुआ क्यों दबोचा?
खरी-खरी
Jul 12, 2015
कुमार सौवीर
तुम तो मुखिया थे ना?
फिर अपने नौकरों का टेंटुआ क्यों दबोचा?
अपने ही घर में, अपने ही बच्चों के साथ पक्षपात करोगे तो बदले में यही मिलेगा, जो अमिताभ ठाकुर और सूर्यप्रताप सिंह से मिल रहा है। तुम एक उंगली दिखाओगे तो तुम्हारे मातहत लोग दो उंगलियां दिखायेंगे। तुम पांच उंगलियां दिखाओगे तो वे पूरा तमाचा रसीद करने करने का स्पष्ट संकेत देंगे।
जो अब तक थ्योरी में सुना जाता था, आज प्रैक्टिकल हो गया।
जो नौकर तुम्हारी जनता के प्रति ईमानदारी, निष्ठा, समर्पण के भाव को चरणावनत होता था, इतना कि तुम्हारे एक शब्द को अपना जीवन-धर्म मानता था लेकिन आज देखा तुमने, कि तुम्हारा एक नौकर तुम्हारे खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराने के लिए तुम्हारी ही पुलिस के थाने में एफआईआर दर्ज कराने पहुंच गया है। यह है तुम्हारे नौकरों का हौसला और तुम्हारी प्राप्तियां। जाहिर है कि वजह तो तुम ही हो।
तुम्हारी नौकरशाही पिछले 27 बरस के कितना बेईमान, भ्रष्ट, अनैतिक, उजड्ड, ऐयाश और पदलोलुप हो चुकी है, कभी इसका कारण सोचने-समझने की कोशिश की है तुमने। तुम ही मायावती हो, और तुम ही मुलायम सिंह यादव। खुद का कॉलर पकड़कर खींच कर झांको। तुम्हें साफ दिखेगा कि आज के नेता पहले दर्जे के बेईमान, अवसरवादी, धनलोलुप ही नहीं, बल्कि अपने टुच्चे स्वार्थों के सामने घुटने टेकने की राजनीति करते रहे हैं। इन्हीं लोगों ने संस्थाओं को संवारा नहीं, उन्हें उजाड़ा-बर्बाद किया है।
और तो और, इन्हीं लोगों ने जनता को भी धोखा दिया है, कर पल, हर कदम। और इसके लिए तुमने अपनी नौकरशाही में भी बांटो-राज करो किया। उन्हें भी खोखला किया। जनता का जीना हराम कर दिया, नौकरशाही को बेईमान, अराजक और स्वच्छन्द-स्वेच्छाचारी बना दिया। नौकर को कुत्ता बना डाला।
और अब जिन नौकरों ने खुद को तुम्हारा कुत्ता बनाने की तुम्हारी कोशिशों पर अपनी पूंछ नहीं हिलायी, उन्हें तुमने प्रताडि़त कर दिया। इतना, कि उसका जीना हराम हो जाए।
कुत्ते और नौकर में बड़ा फर्क होता है आली-जनाब !
ठीक वैसा ही फर्क, जैसा किसी आलमपनाह और निरंकुश-अराजक में।
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