श्रीप्रकाश दीक्षित
आज हम बलात्कार की चर्चा नहीं करेंगे, जिसमे अपना एमपी सालों से पूरे मुल्क मे अव्वल बना हुआ है। हम शुक्रवार को घटी युवती पर तेजाब फेंकने की घटना और आरोपी की संदिग्ध मौत के बहाने सूबे मे व्याप्त अराजकता पर सरकार को खरी-खोटी सुनाएँगे। राजधानी मे सालों से सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं की निर्मम हत्याओं और उनके उत्पीड़न का सिलसिला जारी है। कई साल पहले मिलन होटल मे युवती को दिन दहाड़े मार डाला गया था।
एमपी नगर मे ही गर्ल्स हॉस्टल के समीप बासोदा के सिरफिरे ने एक लड़की की जान ले ली थी। एक डॉक्टर युवती को उसके विवाह समारोह मे ही मौत की नींद सुला दिया गया था। चलती ट्रेन से एक युवती को फेंक दिया गया जिसे भोपाल मे महंगे इलाज के बाद किसी तरह बचाया जा सका और उधर एक पुलिस अफसर से सम्बन्धों के चलते युवती की ख़ुदकुशी । ऐसी तमाम और घटनाएँ भी हुईं हैं जो इस समय मुझे याद नहीं आ रही हैं।
सही है कि इनमे से अधिकतर वारदातें आदतन अपराधी नहीं करते पर ज़्यादातर मामलों मे थानों मे रपट लिखने के बाद भी पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है। फिर प्रशासन नाम की कोई चीज है या नहीं..? कहीं भी पुलिस अथवा हुकूमत का खौफ दिखाई नहीं देता है, हर तरफ रामराज है। अहंकार मे डूबे सत्ताधीश और उनके लगुए-भगुए ही सबसे ज्यादा नियम कानून की धज्जियां उड़ाते नजर आते हैं। इन दिनो यह जरूर हो रहा है कि गंभीर वारदातों के बाद सरकार की नाकामी पर पर्दा डालने के लिए मुखमंत्री और गृहमंत्री बिना वक्त गँवाए पीड़िता अथवा उसके परिवार के पास पहुँच जाते हैं। इससे उनकी थोड़ी वाही-वाही जरूर हो जाती है पर न तो अपराध रुक रहे हैं और न हुकूमत की मुस्तैदी और कसावट कहीं नजर आती है।
इस वारदात मे मीडिया की भूमिका के बारे क्या कहूँ..! सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के बावजूद दैनिक भास्कर ने पीड़िता का फोटो पहले पेज पर छाप दिया। सत्यकथा टाइप कवरेज कर आरोपी की हाथ से लिखी चिट्ठी भी छाप दी पर पुलिस पर की गई कार्रवाई का कोई जिक्र नहीं है। प्रदेश मे तेजाब पर बंदिश के बाद भी उसके सरेआम मिलने पर अखबार ने एक लाइन नहीं छापी। नवदुनिया ने भी पीड़िता का फोटो छापा है पर उसने ऐसिड की खुलेआम बिक्री पर खबर छापी है। आरोपी की पत्नी और पुत्रियों के हवाले से पीड़िता के साथ उसके रिश्तों का तो खूब जिक्र है पर बेटी जैसी स्वर्गीय मित्र की लड़की से सम्बन्धों पर परिवार ने आसमान सिर पर क्यों नहीं उठा लिया..? इस पर उनसे सवाल नहीं किए..! हद तो यह कि ईटीवी का रिपोर्टर घटना के कुछ समय बाद ही केमरामैन के साथ अस्पताल मे पीड़िता के पास जा पहुंचा और अपनी बातचीत को ज्यों का त्यों दिखा भी दिया, कोई देखने-सुनने वाला नहीं हैं ..!
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