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दस साल राज करने के बाद याद आया सुशासन का संकल्प...?

खरी-खरी            May 11, 2015


श्रीप्रकाश दीक्षित मध्यप्रदेश वाकई गज़ब है। और अजब हैं यहाँ के नेता, खासकर सत्ता के सुख सागर मे गोता लगा रहे छोटे और बड़े वज़ीर। देखिए ना दस बरस हो चले हैं शिवराजसिंह चौहान को मुख्यमंत्री के सिंहासन पर बिराजे और अब याद आ रहा है कि हुकूमत मे सुशासन भी कुछ होता है। सो 10 मई को भोपाल मे उन्होने सुशासन संकल्प सम्मेलन का आयोजन कर डाला। लगता है उन्हे भी अहसास है कि उनके दस साला राज मे सुशासन तो जाने दें शासन भी कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। बस जैसे तैसे सरकार चल रही है। आंकड़े शिवराज जी के दस साल के ढीले-ढाले शासन की ताईद ही करते हैं। बलात्कार मे अपना एमपी बराबर पहले स्थान पर बना हुआ है। सर्वे कहता है की छुआछूत जैसी सामाजिक बुराई मे भी मध्यप्रदेश अव्वल है। वहीं नवजात शिशुओं की म्रत्यु दर भी मध्यप्रदेश मे सबसे ज्यादा है। भ्रष्टाचार का आलम यह कि नगरपालिका के बाबू से लेकर आईएएस जोशी दंपति से लेकर मंत्री लक्ष्मीकान्त शर्मा तक सबके किस्से जन-जन की जुबान पर हैं। व्यापम का घोटाला राष्ट्रीय स्तर पर हमे शोहरत दिला गया। और किसकी कहें राज्यपाल और मुख्यमंत्री पर ही इस घोटाले मे गंभीर आरोप लगे हैं। शिवराजसिंहजी को विधानसभा भर्ती घोटाले की याद पूरे दस साल बाद तब आई जब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने व्यापम घोटाले मे उन पर गंभीर आरोप लगाए। इसके बाद आनन-फानन विधानसभा मे श्रीनिवास तिवारी के समय मे हुईं भर्तियों पर प्राथमिकी दर्ज की गई। इससे शिवराजजी की छवि को ही बट्टा लगा। टीकमगढ़ मे टीआई द्वारा एसडीओपी की हत्या के बाद खुद को मौत के घाट उतारने की दहलाने वाली घटना के पीछे नंबर दो की कमाई की बंदरबाँट से उपजे विवाद को मुख्य वजह बताया गया। उधर एक अध्ययन के मुताबिक सूचना के अधिकार की जानकारी देने मे भी प्रदेश सबसे फिसड्डी साबित हुआ है। पहरेदार संस्थाओं के मामले मे भी सूबे का रिकॉर्ड निराशाजनक है। हाइकोर्ट का डंडा पड़ने के बाद ही सूचना आयोग मे नियुक्तियाँ की गईं। मानवाधिकार आयोग मे भी सालों से मुखिया और सदस्यों के पद रिक्त हैं। यहाँ भी हाइकोर्ट ने जनहित याचिका पर सरकार को नोटिस दिया है। शायाद सरकार मनमाफिक लोग तलाश नहीं कर पाई है। वैसे लोकयुक्त से सरकार का तालमेल चौंकाने वाला है क्योंकि कार्यकाल खतम होने के एक साल पहले ही उसमे व्रद्धि के आदेश हो गए..? अब यह मत मान लीजिएगा की भोपाल मे देश के दूसरे सबसे ताकतवर अमितशाह की उपस्थिति मे आयोजित सुशासन संकल्प सम्मेलन के बाद प्रदेश सुशासन की तरफ दौड़ने लगेगा। शपथों और संकल्पों से ही यदि कुछ होता तो देश और प्रदेश की यह दुर्दशा न होती.


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