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दुर्भाग्य! भाजपा-कांग्रेस का नहीं, इस देश का, जहां चिथड़े हुई लाशों पर होती है राजनीति

खरी-खरी            Sep 15, 2015


ममता यादव पेटलावद में 90 के करीब लो मारे गये और लगभग इतने ही तिल—तिल दर्द भोग रहे हैं और मर रहे हैं। टीवी पर,अखबारों में इंसानी जिस्मों के टुकड़े फैले पड़े हैं। चितायें जल रही हैं। लोगों के आंसू थम नहीं रहे हैं। मुख्यमंत्री भी घटनास्थल पर जाकर द्रवित हो गये। कोई भी सामान्य इंसान चाहे कोई भी हो पेटलावद में पहुंचकर सामान्य नहीं रह सकता। कहीं भी यदि आतंकी बमबारी या विस्फोट करते हैं तो भी इतने ही लोग मारे जाते हैं और टीवी पर घटना छाई रहती है। ऐसा लगता है मध्यप्रदेश की राजनीतिक पार्टियों को चाहे वह भाजपा हो या कांग्रेस सबको आदत हो गई है इंसानी मौतों का आंकड़ा 100—200 सुनने की। इन्हें फर्क नहीं पड़ता कौन मरे? कितने मरे? कैसे मरे? अगर फर्क पड़ता तो इस बेशर्मी से बयानबाजी और घटिया राजनीति नहीं होती। कांग्रेस कहती है राजेंद्र कसावा आरएसएस का आदमी था भाजपा कहती है कांग्रेस झूठ बोल रही है। इन सबसे बढ़कर हमारे माननीय गृहमंत्री बाबूलाल गौर जी की बातें काबिल—ए—गौर हैं। मंत्री जी ने फरमाया हादसे तो होते रहत हैं भाई होंगे तभी तो कार्रवाई होगी। हमें तो मुस्कुराते रहना चाहिये,मुस्कुराने से सेहत अच्छी रहती है। ये सिर्फ इस देश में होता है जहां सैकड़ों बेगुनाह इंसानों की मौत पर गुनाहगार पर सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष द्वारा डिस्कसन किया जाता है। ये पार्टियां ऐसी मौतों पर एक सुर में यह मांग नहीं कर सकतीं कि वो चाहे कोई भी हो उसे बख्शा नहीं जाये। हालांकि खुद मुख्यमंत्री यह कह चुके हैं। कांग्रेस के अपने रटे—रटाये बयान हैं और भाजपा के अपने। इतनी बेशर्मी इतनी स्वार्थपरता। शर्मसार नहीं करती इन्हें,इनकी आत्मा नहीं कचोटती इन्हें। भाजपा अध्यक्ष कहते हैं कि यह दुर्भाग्य है कि मीडिया पर कंसावा के बारे में उसी जानकारी के साथ खबरें चलाई गईं जो कांग्रेस ने दी। अध्यक्ष महोदय यह न भाजपा का न कांग्रेस का दुर्भाग्य है यह दुर्भाग्य इस देश का है जहां इंसानी मौतों की चिथड़े उड़ी लाशों पर ऐसी घटिया राजनीति और बयानबाजी हो रही है।


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