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देर से आई भागवत की नसीहत के मायने

खरी-खरी            Feb 19, 2015


कुंवर समीर शाही संघ प्रमुख मोहन भागवत का अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को कानपुर मे दिया गया बयान कि हमारी माताये फैक्ट्री नहीं है बच्चा पैदा करना उनका व्यक्तिगत निर्णय है, जो कि निसंदेह सराहनीय है। लेकिन सवाल यह उठता है कि संघ प्रमुख का यह बयान आने में इतनी देर क्यों लगी? भाजपा के समर्थक दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले से ही ऐसे ऊटपटांग बयान दे रहे थे, तब संघ प्रमुख ने उन्हें नसीहत देकर चुप क्यों नहीं कराया। संघ प्रमुख ने यह बयान बीजेपी सांसद साक्षी महाराज और साध्वी प्रज्ञा की हिदू महिलाओं से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील के काफी दिन बाद आया है। हालंाकि उन्होने यह विवादित बयान देने वाले भाजपा सांसद साक्षी महराज का नाम नहीं लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि मैं किसी को बोलने से कैसे रोक सकता हूं? लेकिन, कुछ कहने से पहले सोचना चाहिए। अखबार के मुताबिक उस बैठक में मौजूद लोगों ने बताया कि भागवत ने हिदुओं के घटते अनुपात का जिक्र किया और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक बताया। अब सवाल यह उठता है कि संघ प्रमुख का यह बयान दिल्ली चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक पराजय के बाद क्यों आया क्या इसके पूर्व उन्हे यह बात नही पता थी या वह भी दिल्ली में हो रहे चुनाव के परिणामो का इंतजार कर रहे थे। खैर जो कुछ भी हो लेकिन भाजपा नेताओं के बड़बोलेपन पर पल्ला झाड़ लेने की संघ या भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की मंशा को अब सभी समझ चुके हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि संघ प्रमुख का यह बयान भी राजनीति से प्रेरित है। यहां बताते चलें कि साक्षी महराज ही नही साघ्वी प्राची, तोगडिया और बासुदेवानंद जैसे लोग भी हिन्दुओ से चार से दस बच्चे पैदा करने की बात की चुके हंै, लेकिन जब उनसे खुद बच्चे पैदा करने की बात कही गयी तो वह नाराज हो गये। इन लोगों की अपील में सबसे अहम बात यह है कि हिन्दू महिलाओं से चार से दस बच्चे पैदा करने की अपील करने वाले लोगों का जोर लड़का पैदा करने पर ही है। किसी ने कभी नहीं कहा कि चार या दस बच्चों में लड़किया भी पैदा करना चाहिए। सबसे अहम बात कह यह अपील करने वाले सभी लोगो ने शादी ही नही की है। सपा के वरिष्ठ नेता व कबीना मंत्री आजम खां के औरतों को बच्चा पैदा करने की मशीन बताने पर सख्त नाराजगी जाहिर करने वालों को सीख देने में संघ प्रमुख ने आखिर इतनी देर क्यों की? संघ प्रमुख की इस नसीहत पर भारतीय जनता पार्टी के नेता कितना अमल करेंगे यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा पर उनके इस संदेश ने एक बात तो साफ कर ही दी है कि संघ दिल्ली के चुनाव परिणाम आने के बाद से काफी चिंतित है और वह बिहार में जल्द ही होने वाले चुनाव में दिल्ली जैसी गलती करने पर भाजपा के नेताओं को बख्शने के मूड में नहीं है।


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