नेपाल के लिए मौन के बाद अटलजी को मानद उपाधि ..!
खरी-खरी
May 09, 2015
श्रीप्रकाश दीक्षित
पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत सरकार भारत रत्न के सबसे बड़े सम्मान से नवाज चुकी है। इसके बाद मध्यप्रदेश के भोज मुक्त विश्वविधालय द्वारा उन्हे डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान करना बेहद अटपटा लगा। श्री वाजपेयी न केवल अस्वस्थ हैं बल्कि चलने फिरने से भी लाचार हैं और उनकी याददाश्त भी लगभग चली गई है। ऐसे मे मानद उपाधि देना और इसके लिए मुख्यमंत्री का अपने मंत्रियों के फौज-फाटा के साथ दिल्ली मे उपस्थित रहना सरकारी पैसे कि बरबादी वाले नाटक के अलावा कुछ नहीं है।
अटलजी के निवास पर आयोजित इस उपाधि वितरण समारोह मे भाग लेने के लिए मुख्यमंत्री के साथ बाबूलाल गौर, गौरी शंकर शेजवार, उमाशंकर गुप्ता, गोपाल भार्गव,विजय शाह,सरताज सिंह कैलाश विजयवर्गीय, यशोधरा सिंधिया, गौरी शंकर बिसेन, नरोत्त मिश्र, अंतरसिंह आर्य, रामपाल सिंह, ज्ञानसिंह, दीपक जोशी, शरद जैन, सुरेन्द्र पटवा आदि तमाम मंत्रियो की फौज दिल्ली आई थी।जाहिर है भोज वीवी का पूरा अमला भी मौजूद था। श्री चौहान ने बताया कि जब अटलजी को उपाधि से नवाजा जा रहा था तब उनके चेहरे पर खुशी के भाव थे। यह बात गले नहीं उतरती क्योंकि जब भारत रत्न देने राष्ट्रपति उनके निवास गए थे तब उनके चेहरे को छुपा कर सम्मान लेते हुए फोटो जारी किया गया था।
अभी पिछले 5 मई को ही मध्यप्रदेश सरकार नेपाल के भूकंप मे मारे गए लोगों कि आत्मा शांति के लिए मौन और इसका आव्हान करने वाले विज्ञापन पर सरकारी खजाने का लाखों रुपये फूँक चुकी है। इससे न तो भूकंप मे मारे गए लोगों के परिजनों और न अन्य पीड़ितों को कुछ मिला और न ही सरकार की छवि मे चार चाँद ही लगे। उल्टे इस नाटक से उसमे पलीता ही लगा है। इसी प्रकार अटलजी को मानद उपाधि के नाटक से भी शिवराजजी को कोई राजनीतिक फायदा नहीं होने वाला है बल्कि सरकार की भद्द ही पिट रही है।। पता नहीं मुख्यमंत्री जी को इस प्रकार के बेसिर पैर के आयोजनो की सलाह कौन दे रहा है..?
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