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पाकिस्तानी फौज के चहेते बनने की कोशिश,बट्ट की किताब पर बैन

खरी-खरी            Mar 13, 2016


ved-pratap-vaidikडॉ.वेद प्रताप वैदिक। अभी ताजा खबर यह है कि ‘पाकिस्तानी कश्मीर’ की सरकार के ‘राष्ट्रपति’ ने मकबूल बट्ट की दो किताबों पर प्रतिबंध लगा दिया है। आपको पहले यह बता दूं कि यह मकबूल बट्ट कौन था? इसे 1984 में दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। इस पर भारत के एक कूटनीतिज्ञ समेत कई लोगों की हत्या के आरोप थे। यह कुछ साल तक पाकिस्तान की जेल भी काट चुका था। भारत के किसी कश्मीरी आतंकवादी को पाकिस्तान में जेल काटनी पड़े और उसकी किताबों पर वहां प्रतिबंध लगा दिया जाए, यह कैसे हो सकता है? जी हां, यह हुआ है और अब भी हो रहा है। क्यों हो रहा है? क्योंकि उसने अपनी दोनों किताबों में उस कश्मीर की आजादी की भी पैरवी की है, जिस पर पाकिस्तान का कब्जा है। कश्मीर की आजादी का दुनिया में अगर सबसे बड़ा कोई दुश्मन है तो वह पाकिस्तान है। पाकिस्तान न तो भारतीय कश्मीर की आजादी चाहता है न ही पाकिस्तानी कश्मीर की। वह दोनों कश्मीरों की गुलामी चाहता है। जिस कश्मीर को वह ‘आजाद कश्मीर’ कहता है, उसे उसने अपना गुलाम बना रखा है। उस कश्मीर के कई ‘प्रधानमंत्रियों’ से पिछले 35 वर्षों से मेरी जमकर बात हुई है। लगभग सभी परेशान दिखे लेकिन वे मजबूर हैं। प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो से इस्लामाबाद में मेरी मुलाकात हुई तो मैंने उनसे पूछा कि क्या आप सारे कश्मीरियों को ‘तीसरा विकल्प’ देने को तैयार हैं? ‘तीसरे विकल्प’ का अर्थ है- कश्मीर न तो भारत में मिले और न ही पाकिस्तान में। संयुक्त राष्ट्रसंघ के जनमत संग्रह के संदर्भ में मैंने यह सवाल उनसे पूछा था। वे भड़क गईं। उन्होंने कहा कि ‘बिल्कुल नहीं।’ ‘…यह सोचना भी पाप है।’ तीसरे दिन लगभग यही बात उन्होंने ‘न्यूयार्क टाइम्स’ के संवाददाता से कह दी। उसी दिन कुख्यात अमानुल्लाह बट्ट और कई कश्मीरी संगठनों के सरगनाओं से मैं रावलपिंडी में मिला। वे सब पाकिस्तान की राय के विरुद्ध आग उगल रहे थे। वे कह रहे थे कि पाकिस्तान ‘हमारे’ (भारतीय) कश्मीर को भी अपना गुलाम बनाना चाहता है। तो यदि आज तथाकथित ‘आजाद कश्मीर’ के राष्ट्रपति ने मकबूल बट्ट की किताबों पर प्रतिबंध लगाया है तो ऐसा करके वे पाकिस्तानी फौज के चहेते बनने की कोशिश कर रहे हैं। पाकिस्तान तो भारतीय कश्मीर को सिर्फ पाकिस्तान में मिलाना चाहता है। उसे हथियाना चाहता है। उसे कश्मीर की आजादी से कोई लेना-देना नहीं है। मैं दोनों कश्मीरों के नेताओं से हमेशा पूछता हूं कि मैं जैसे दिल्ली में आजाद हूं और मियां नवाज़ शरीफ लाहौर में आजाद हैं, आप भी श्रीनगर और मुजफ्फराबाद में आजाद क्यों नहीं रह सकते? जैसे मैं अपनी आजादी का पूर्ण समर्थक हूं, वैसे ही मैं आपकी भी आजादी चाहता हूं। बदकिस्मती है कि आप आजादी नहीं चाहते। आप अलगाव चाहते हैं, जो आपको गुलाम बनाकर ही छोड़ेगा। भारत और पाकिस्तान का नहीं। दुनिया के कई मोटे और छोटे देशों का। Website : www.vpvaidik.com


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