मल्हार मीडिया ब्यूरो।
छत्तीसगढ़ से एक बड़ी खबर सामने आई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया है। भिलाई वाले घर पर शुक्रवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने छापा मारा था। ईडी ने ये कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कथित शराब घोटाले से जुड़े एक मामले में की है।
कार्रवाई के बीच भूपेश बघेल विधानसभा के लिए हुए थे रवाना
घर में चल रही ईडी की कार्रवाई के बीच पूर्व सीएम भूपेश बघेल विधानसभा के लिए रवाना हो गए थे। जिसके बाद ईडी ने यह बड़ी कार्रवाई की है। वहीं कार्रवाई के दौरान नाराज समर्थकों ने बैरिकेडिंग को हटाने की मांग की। साथ ही समर्थकों ने बैरिकेडिंग को गिरा दिया था।
ईडी की कार्रवाई के बीच भूपेश बघेल का पोस्ट
ईडी के घर पहुंचने पर भूपेश बघेल ने एक्स पर पोस्ट साझा कर जानकारी देते हुए लिखा था कि ईडी आ गई है। आज विधानसभा सत्र का अंतिम दिन है। अदाणी के लिए तमनार में काटे जा रहे पेड़ों का मुद्दा आज उठना था। भिलाई निवास में 'साहेब' ने ईडी भेज दी है।
Former Chhattisgarh CM and Congress leader Bhupesh Baghel tweets, "ED has arrived. Today is the last day of the assembly session. The issue of trees being cut in Tamnar for Adani was supposed to be raised today..." pic.twitter.com/DrorTWEqwT
— ANI (@ANI) July 18, 2025
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में 22 अफसर निलंबित
बीती 11 जुलाई को छत्तीसगढ़ सरकार ने आबकारी विभाग से जुड़े एक बहुचर्चित मामले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की। कुल 22 अधिकारियों को निलंबित किया। यह कार्रवाई पूर्ववर्ती भूपेश सरकार के दौरान हुए 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की जांच के आधार पर की गई है। वर्ष 2019 से 2023 के बीच हुए इस घोटाले में आबकारी विभाग के इन अधिकारियों की संलिप्तता पाई गई थी, जिन्होंने अवैध रूप से अर्जित धन से संपत्तियां बनाई थी।
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की गहन जांच से यह स्पष्ट हुआ कि यह एक संगठित सिंडिकेट के रूप में संचालित घोटाला था। जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर सरकार ने तत्क्षण कार्रवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों को निलंबित कर दिया।
साय सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति
राज्य की विष्णुदेव साय सरकार भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। इसी क्रम में साय ने स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और पूर्ववर्ती शासनकाल में हुए सभी घोटालों की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाएगी। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे किसी भी पद पर क्यों न हो। राज्य सरकार डीएमएफ घोटाले, महादेव ऑनलाइन सट्टा एप प्रकरण, तेंदूपत्ता वितरण, सीजीएमएससी और अन्य मामलों की भी गहन जांच करवा रही है। हाल के दो वर्षों में 200 से अधिक भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध एंटी करप्शन ब्यूरो ने कार्रवाई की है।
मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार भ्रष्टाचार के समूल उन्मूलन के साथ सुशासन की दिशा में अग्रसर है। शासन की प्राथमिकता है—पारदर्शिता, जवाबदेही और जनहित में निष्ठावान प्रशासन। इसी क्रम में जेम पोर्टल से सरकारी खरीद को अनिवार्य किया गया है, ई-ऑफिस प्रणाली लागू की गई है, और 350 से अधिक सुधारों के माध्यम से निवेश की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया गया है। सिंगल विंडो सिस्टम 2.0 की शुरुआत के साथ अब एनओसी की प्रक्रिया सरल, तेज और तकनीक-सक्षम हो चुकी है। इससे उद्यमियों और निवेशकों को स्पष्ट लाभ मिला है।
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामला
छत्तीसगढ़ में 2018 में कांग्रेस ने चुनाव जीता और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने। बताया जाता है कि शराब घोटाले की शुरुआत अगले ही साल 2019 में हो गई। इससे 2022 तक छत्तीसगढ़ में शराब के जरिए काली कमाई की गई। प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि यह सब भूपेश बघेल सरकार की नाक के नीचे हुआ।
कैसे हुआ शराब घोटाले का खुलासा
ईडी ने मामले में जब जांच शुरू की तो सामने आया कि छत्तीसगढ़ में शराब की बोतलों पर लगने वाले होलोग्राम का टेंडर कारोबारी विधु गुप्ता की कंपनी ने जीता। हालांकि, यह टेंडर उन्हें अवैध कमीशन से मिला। जब प्रवर्तन निदेशालय ने विधु को गिरफ्तार किया तो उन्होंने मामले में बघेल सरकार की तरफ से सीएसएमसीएल के एमडी बनाए गए अरुणपति त्रिपाठी, रायपुर महापौर के बड़े भाई शराब कारोबारी अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा का नाम लिया। जब ईडी ने इन तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया, तो मामले में और भी खुलासे हुए।
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