मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मध्य प्रदेश में पहली कक्षा में बच्चों के एडमिशन को लेकर एक बार फिर असमंजस की स्थिति बन गई है। राज्य सरकार और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के अलग-अलग नियमों के कारण पैरेंट्स के सामने परेशानी खड़ी हो गई है। हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों सहित संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
दरअसल, सीबीएसई स्कूल एसोसिएशन की ओर से याचिका दायर की गई है। एसोसिएशन की तरफ से वकील गौरव छाबड़ा ने कोर्ट में दलील दी। उन्होंने कहा कि सीबीएसई के नियमों के मुताबिक केवल वही बच्चे पहली कक्षा में प्रवेश के योग्य हैं, जिनकी उम्र 1 अप्रैल तक 6 वर्ष पूरी हो जाती है। यह नियम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लागू किया गया है। वहीं, मध्य प्रदेश सरकार ने मार्च में एक आदेश जारी कर कहा है कि 30 सितंबर तक 6 साल की उम्र पूरी करने वाले बच्चों को भी पहली कक्षा में प्रवेश दिया जा सकता है।
ट्रांसफर होने पर पढ़ाई होगी प्रभावित
इन दोनों नियमों में लगभग 6 महीने का अंतर है, जो बच्चों के भविष्य के लिए उलझन की स्थिति पैदा कर रहा है। वकील ने तर्क दिया कि यदि कोई बच्चा एक साल की पढ़ाई के बाद दूसरे राज्य में ट्रांसफर होता है। तब उसे फिर से कक्षा एक में पढ़ना पड़ सकता है। यह स्थिति बच्चों की पढ़ाई में बाधा डालने वाली है।
सीबीएसई स्कूलों ने रखा अपना पक्ष
पहली क्लास में बच्चों के एडमिशन को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के दो नियम के चलते समस्या हो रही है। और सीबीएसई मान्यता प्राप्त स्कूलों की स्थिति बिगड़ रही है। इसलिए सीबीएसई स्कूलों के संगठन एसोसिएशन ऑफ यूनाइटेड सीबीएसई स्कूल सोसायटी की ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इस पर सुनवाई हुई। इसमें दो सरकरों के दो नियमों से होने वाली परेशानी को ऐशोशियन ने कोर्ट के सामने रखा।
कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार के शिक्षा सचिव, सीबीएसई के अध्यक्ष, मप्र शासन, राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक और इंदौर के जिला शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी किया है। सभी से 6 वीक में जवाब मांगा गया है।
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