मल्हार मीडिया
दसवां विश्व हिंदी सम्मेलन संपन्न हुये अभी बहुत समय नहीं बीता है। इस सम्मेलन में यह स्वीकार किया गया था कि भारत ही नहीं विश्व में भी हिंदी की सबसे बड़ी विस्तारक हिंदी फिल्में हैं। लेकिन सरकारों का दोगलापन यहीं नजर आता है जहां गोवा फिल्म फेस्टीवल में परदे के अलावा और कहीं भी हिंदी का नामो—निशान तक नजर नहीं आ रहा। जबकि तथ्य यह है कि हिंदी से ही यह फिल्में अरबों का कारोबार करती हैं।
मुंबई की रहने वाली विधि जैन ने राजभाषा विभाग को 12 फरवरी 2015 पत्र लिखा था लेकिन अभी तक 21 स्मरणपत्र भेजने के बावजूद न तो राजभाषा विभाग की तरफ से न ही सूचना प्रसारण मंत्रालय की तरफ से कोई जवाब उन्हें दिया गया है और न ही फिल्म समारोह निदेशालय ने जवाब देना जरूरी समझा। सरकार के इस रवैये से विधि को लगने लगा है कि हम भाषा प्रेमियों की पिछले पाँच साल की मेहनत बेकार चली गयी कि ये बैनर, पोस्टर, वेबसाइट, प्रेस विज्ञप्तियों में हम हिंदी को उसका स्थान नहीं दिला सके. हमारे सैकड़ों शिकायती-पत्र, आर टी आई आवेदन बेकार चले गए।

20 नवम्बर से को गोवा में फिल्म समारोह शुरू हो गया है, समारोह स्थल पर आपको हिंदी फिल्मों के "परदे पर प्रदर्शन" के अलावा कहीं भी हिंदी नहीं मिलेगी। सारे बैनर, होर्डिंग, अतिथि नामपट, पोस्टर, परिचय पत्र, बैज, आमंत्रण पत्र, प्रवेश पत्र, टिकट और डिजिटल बोर्ड केवल अंग्रेजी में ही तैयार किए गए हैं।
विधि जैन द्वारा किया गया पत्र व्यवहार और वो सारे लिंक जिसमें दिखाई देता है कि हिंदी के प्रति सरकार कितनी गंभीर है एक नजर डालें यहां भी
विधि लिखती हैं,12 फरवरी 2015 को मैंने पहला अभ्यावेदन भेजा था, और यह मेरा इक्कीसवां स्मरण पत्र है परन्तु राजभाषा विभाग ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है और न ही सूचना प्रसारण मंत्रालय के कोई कदम उठाया है। राजभाषा के नाम पर हिंदी को कोई सम्मान इस देश में नहीं मिलता है, भारत सरकार के अधिकारी कभी नहीं चाहते हैं कि हिंदी आगे बढ़े।
२० नवम्बर २०१५ को गोवा में फिल्म समारोह शुरू हो गया है, समारोह स्थल पर आपको हिंदी फिल्मों के "परदे पर प्रदर्शन" के अलावा कहीं भी हिंदी नहीं मिलेगी। सारे बैनर, होर्डिंग, अतिथि नामपट, पोस्टर, परिचय पत्र, बैज, आमंत्रण पत्र, प्रवेश पत्र, टिकट और डिजिटल बोर्ड केवल अंग्रेजी में ही तैयार किए गए हैं।
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समारोह के ताज़ा छायाचित्र इस लिंक पर देखें (यहां क्ल्कि करें) जो विवरण के साथ दिनांक के अनुसार नामित हैं, जो दिखाते हैं कि हिंदी सिर्फ नाम की राजभाषा है और इफ्फी के कर्ताधर्ता अधिकारी इसका प्रयोग नहीं करेंगे। पत्र सूचना कार्यालय ने इफ्फी के लिए वेबपेज
पत्र सूचना कार्यालय ने इफ्फी के लिए वेबपेज को केवल अंग्रेजी में तैयार करवाया है (यहां क्ल्कि करें) को केवल अंग्रेजी में तैयार करवाया है और इफ्फी की नयी वेबसाइट
इफ्फी की नयी वेबसाइट (यहां क्ल्कि करें) भी सिर्फ अंग्रेजी में बनाई गयी, समारोह में दिए जा रहे सम्मान पत्र भी अंग्रेजी में छापे गए हैं।इफ्फी का प्रतीक चिह्न हिंदी को हमेशा से अछूत मानता है इसलिए वह अंग्रेजी में ही रहेगा? द्विभाषी लोगो बनाने के राष्ट्रपति जी के आदेश की परवाह किसे है?
इस सम्बन्ध में राष्ट्रपति जी एवं प्रधानमंत्री जी के समक्ष याचिका लगाऊँगी और देश भर से करीब 50 मित्रों के माध्यम से आर टी आई आवेदन भी लगवाऊँगी ताकि शिकायतों का जवाब भी नहीं देने वाले अधिकारी बेनकाव हों. जो शिकायतों का जवाब नहीं देते हैं ऐसे लोग क्या काम करते होंगे, इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

18 नवंबर को उन्होंने पत्र लिखकर फिर पूछा मुझे जवाब दीजिए इतने बड़े बड़े नागरिक चार्टर क्यों बनाए हैं जब आप लोग एक-एक साल में और लगातार स्मरण पत्र लिखने के बाद में उत्तर नहीं देते हैं और दशकों तक राजभाषा सम्बन्धी शिकायतों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं करते हैं.इस फिल्म समारोह की आधिकारिक फिल्म के विवरण, सड़कों पर लगने वाले होर्डिंग, पोस्टर, सभी समारोह सम्बन्धी बैनर, मंच के बैनर एवं आमंत्रण-पत्र केवल अंग्रेजी में ही छपवाए जाते हैं, आधिकारिक पोस्टर 2015, बैनर, होर्डिंग आदि सभी कुछ 2015 में भी केवल अंग्रेजी में छापने के निर्देश इस समारोह आयोजक अधिकारियों ने दिए हैं।
भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह (इफ्फी) का आयोजन करने वाले "आयोजन सचिवालय" द्वारा हर वर्ष राजभाषा अधिनियम एवं नियमों का निरंतर उल्लंघन किया जाता है, इस सम्बन्ध में कई लोग पिछले चार-पाँच वर्षों से निरंतर शिकायतें कर रहे हैं पर अधिकारी उनकी एक नहीं सुन रहे हैं।
हिन्दी प्रयोग ना करने और कानून तोड़ते रहने की उनकी मनमानी निरंतर जारी है। अब समय आ गया है कि आयोजकों को हिन्दी का प्रशिक्षण दिया जाए और उनको सख्ती से कानून का पालन करने के लिए कहा जाए।
कुछ उदाहरण:
इफ्फी वेबसाइट का द्विभाषी संस्करण उपलब्ध नहीं है, गूगल अनुवाद एप जोड़कर अधिकारी हिन्दी वेबसाइट होने का झूठा दावा कर रहे हैं. इनको बताइए कि अनुवाद एप जोड़ देने से वेबसाइट हिन्दी में नहीं बन जाती है।
हर वर्ष होने वाले फिल्म समारोह (जो 20-30 नवम्बर को गोवा में होता है) के लोगो में "हिन्दी" को शामिल ना करना और राजभाषा विभाग के विभिन्न निर्देशों/राष्ट्रपति के आदेशों एवं पूर्व मंत्री के निर्देशों का पालन ना करना।
गोवा में होने वाले इस फिल्म समारोह की आधिकारिक फिल्म के विवरण, सड़कों पर लगने वाले होर्डिंग, पोस्टर, सभी समारोह सम्बन्धी बैनर, मंच के बैनर एवं आमंत्रण-पत्र केवल अंग्रेजी में ही छपवाए जाते हैं और २०१४ के समारोह में भी यही किया गया।
फिल्म समारोह में प्रदान किये जाने वाले सभी प्रमाण-पत्रों एवं प्रशस्ति पत्रों अथवा पुरस्कारों पर "हिन्दी" का प्रयोग ना करना।
फिल्म समारोह के लिए हर वर्ष तैयार किए जाने वाले सूची-पत्र (कैटलाग) द्विभाषी रूप में ना छपवाना एवं दिखावे के लिए केवल आवरण पृष्ठ पर समारोह का नाम हिन्दी में छापना और ऐसे प्रचारित करना जैसे पूरा कैटलौग हिन्दी में बनाया गया हो।
इस समारोह से जुड़े अधिकारियों द्वारा सभी आधिकारिक पत्र केवल अंग्रेजी में जारी करना।
समारोह की सिग्नेचर फिल्म में हिन्दी और देवनागरी का इस्तेमाल ना करना।
समारोह सम्बन्धी विज्ञप्तियाँ वेबसाइट पर केवल अंग्रेजी में जारी करना।
यह समाचार विधि जैन द्वारा भेजी गई जानकारी पर आधारित है।
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