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बदले बदले से अरविंद केजरीवाल.

खरी-खरी            Feb 19, 2015


कुंवर समीर शाही 14 फरवरी को रामलीला मैदान में शपथ लेने के बाद अरविंद केजरीवाल बतौर दिल्ली के सीएम अपनी दूसरी पारी शुरू कर चुके हैं. दो दिन में ही बड़े बड़े फैसले भी कर रहे हैं लेकिन बिना किसी शोर के. इस बार आवाज तो हो रही है लेकिन काम की बयानों की नहीं. बदले बदले से नजर आ रहे हैं अरविंद केजरीवाल. पहली बार सीएम बनने पर केजरीवाल ने जनता दरबार बुलाया तो भीड़ बेकाबू हो गई और जनता दरबार तमाशा बन गया. लेकिन इस बार कहीं कोई तमाशा नहीं है. पहली बार दिल्ली के सीएम की कुर्सी पर बैठे तो मेट्रो से शपथ लेने गए थे. इस बार जब शपथ के लिए रामलीला मैदान गए तो इनोवा की सवारी करके पहुंचे.पिछली बार सीएम बनते ही केजरीवाल एक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किए जा रहे थे. लेकिन इस बार दिल्ली सचिवालय में मीडिया के लिए नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया गया है. सरकार बदले-बदले से नजर आ रहे हैं. बतौर सीएम अपनी दूसरी पारी खेल रहे अरविंद केजरीवाल का अंदाज इस बार बिल्कुल अलग है. कोई दिखावा नहीं. कोई ड्रामा नहीं. और कोई मसाला नहीं. लगता है इस बार सिर्फ अपने वादों को पूरा करने के लिए एक्शन में दिखना चाहती है केजरीवाल सरकार और इस बात के संकेत पहले दो दिनों में दो बड़े फैसलों से दे दिए गए हैं. पहला फैसला केजरीवाल सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में दिल्ली में अवैध रूप से बनी झुग्गी-झोपड़ियों को तोड़ने पर रोक लगा दी गई. केजरीवाल अपने चुनाव प्रचार के दौरान भी झुग्गी झोपड़ी को नहीं हटाने को लेकर बयान देते रहे हैं. पहले दिन इस फैसले के साथ केजरीवाल ने ये जता दिया है कि जो वादा किया था उन्हें पूरा किया जाएगा लेकिन क्या ये मुमकिन है क्योंकि उनके इस फैसले पर सवाल भी उठ रहे हैं. दूसरा फैसला केजरीवाल सरकार ने दूसरे दिन दूसरा बड़ा फैसला सुना दिया. फैसला ये कि दिल्ली में किसी भी अस्थाई कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला जाएगा. यानी दिल्ली सरकार के दफ्तरों में ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद नहीं हटाया जा सकेगा. हालांकि उन कर्मचारियों को पक्की नौकरी मिलेगी या नहीं ये अभी साफ नहीं है. आम आदमी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में दिल्ली में ठेके पर काम करने वाले अस्थाई कर्मचारियों को स्थायी करने का वादा किया था. दिल्ली सरकार का ये फैसला उसी दिशा में एक कदम है. एक के बाद एक फैसले तो हो रहे हैं लेकिन इस बार कोई शोर नहीं मच रहा है. पिछली बार केजरीवाल लोगों को बुलाकर समस्याएं सुन रहे हैं लेकिन इस बार जनता बिना बुलाए केजरीवाल के घर के बाहर जमा हो रही है पहले झुग्गी गिराने के खिलाफ लोगों ने केजरीवाल के घर के बाहर प्रदर्शन किया और फिर ई रिक्शा वाले अपने परेशानी लेकर केजरीवाल के पास पहुंच गए लेकिन फर्क ये है कि इस बार केजरीवाल बातें सुन तो रहे हैं लेकिन कोई आश्वासन देने से पहले वक्त मांग रहे हैं. तीसरा फैसला कामकाज के दूसरे दिन ही तीसरा बड़ा फैसला सामने आया है. दिल्ली सरकार ने कारोबारियों को बड़ी राहत दी है. अब लघु और मध्यम उद्योग कानून के तहत कोई सुविधा लेने के लिए दिल्ली के प्रदूषण कंट्रोल कमेटी और एमसीडी से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी. उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन ने इस तरह के सर्टिफिकेट से छूट देने का फैसला लिया है. इससे उन कारोबारियों का फायदा होगा जिनको प्रदूषण कंट्रोल कमेटी और एमसीडी से सर्टिफिकेट के लिए चक्कर लगाने पड़ते थे. इस बदलाव के पीछे केजरीवाल सरकार की दलील है कि नियमों का गलत इस्तेमाल कर व्यापारियों का परेशान किया जाता था


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