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अनिल अंबानी की कंपनी पर कस रहा शिकंजा, ऑरकॉम ने आरोपों से किया इनकार

बिजनस            Aug 24, 2025


 मल्हार मीडिया डेस्क।

भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ इंडिया ने दिवालिया रिलायंस कम्युनिकेशंस के ऋण खाते को धोखाधड़ी वाला घोषित कर दिया है। मामले में पूर्व निदेशक उद्योगपति अनिल अंबानी का नाम भी शामिल किया है।

नियामकीय फाइलिंग के अनुसार, 2016 में कथित तौर पर धन के दुरुपयोग का हवाला देते हुए बैंक ऑफ इंडिया ने भी इस ऋण खाते को धोखाधड़ी वाला घोषित कर दिया है। हालांकि कंपनी ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा है कि यह कार्रवाई 10 साल से भी ज्यादा पुराने मामलों से संबंधित है। उस समय अंबानी कंपनी के गैर-कार्यकारी निदेशक थे और कंपनी के दैनिक प्रबंधन में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।

सरकारी स्वामित्व वाले बैंक ऑफ इंडिया ने अगस्त 2016 में रिलायंस कम्युनिकेशंस को उसके चालू पूंजीगत और परिचालन व्यय व मौजूदा देनदारियों के भुगतान के लिए 700 करोड़ रुपये का ऋण दिया था। आरकॉम की ओर से स्टॉक एक्सचेंज में दाखिल की गई जानकारी में बैंक के पत्र के अनुसार, अक्तूबर 2016 में वितरित की गई स्वीकृत राशि का आधा हिस्सा एक सावधि जमा में निवेश किया गया था, जिसकी स्वीकृति पत्र के अनुसार अनुमति नहीं थी।

आरकॉम ने कहा कि उसे 22 अगस्त को बैंक ऑफ इंडिया से 8 अगस्त का एक पत्र मिला है, जिसमें बैंक की ओर से कंपनी, अनिल अंबानी (कंपनी के प्रवर्तक और पूर्व निदेशक) और मंजरी अशोक कक्कड़ (कंपनी की पूर्व निदेशक) के ऋण खातों को धोखाधड़ी वाले के रूप में वर्गीकृत करने के फैसले की जानकारी दी गई है।

इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने भी इसी साल जून में ऐसा ही किया था, जिसमें ऋण की शर्तों का उल्लंघन करके बैंक के धन की हेराफेरी का आरोप लगाया गया था।

एसबीआई की शिकायत के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को रिलायंस कम्युनिकेशंस और अंबानी के आवास से जुड़े परिसरों की तलाशी ली थी। सीबीआई ने कहा कि उसने भारतीय स्टेट बैंक की ओर से रिलायंस कम्युनिकेशंस और अनिल अंबानी (जो एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी के छोटे भाई हैं) की ओर से कथित हेराफेरी के परिणामस्वरूप 2,929.05 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा करने के बाद शिकायत दर्ज की है।

अनिल अंबानी के प्रवक्ता ने एक बयान में सभी आरोपों और अभियोगों का दृढ़ता से खंडन किया और कहा कि वह अपना बचाव करेंगे। प्रवक्ता ने कहा, 'एसबीआई की ओर से दर्ज की गई शिकायत 10 साल से भी पुराने मामलों से संबंधित है। उस समय अंबानी कंपनी के गैर-कार्यकारी निदेशक थे और कंपनी के दैनिक प्रबंधन में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। यह ध्यान देने योग्य है कि एसबीआई ने अपने आदेश की ओर से पांच अन्य गैर-कार्यकारी निदेशकों के विरुद्ध कार्यवाही पहले ही वापस ले ली है। इसके बावजूद अनिल अंबानी को चुनिंदा रूप से निशाना बनाया गया है।'

बयान में कहा गया कि बैंक ऑफ इंडिया ने आरकॉम के खाते को बिना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए फ्रॉड घोषित किया है। शो कॉज नोटिस तो जारी किया गया, लेकिन जरूरी दस्तावेज अंबानी को उपलब्ध नहीं कराए गए और न ही व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिया गया। यह आरबीआई के जुलाई 2024 के नियमों और सुप्रीम कोर्ट व बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसलों के विपरीत है।

बैंकिंग कानूनों के तहत एक बार किसी खाते को धोखाधड़ी वाला घोषित कर दिए जाने पर उसे आपराधिक कार्रवाई के लिए प्रवर्तन एजेंसियों को भेजा जाना चाहिए। इसके साथ ही उधारकर्ता को पांच वर्षों के लिए बैंकों और विनियमित संस्थानों से नए वित्त प्राप्त करने से रोक दिया जाता है।


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