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बिहार में बीजेपी की किरकिरी

खरी-खरी            Feb 20, 2015


कुंवर समीर शाही दिल्ली के बाद बिहार में भी भारतीय जनता पार्टी के गलत फैसले ने पार्टी की फजीहत करा दी है। 12 सदस्यों के समर्थन वाले जीतन राम मांझी की सरकार बनाने में जुटी भाजपा को बिहार में किरकिरी का सामना करना पड़ा है। बहुमत से दूर दिखने वाले मांझी ने सदन में हार को देखते हुए आज अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया है। नई सरकार बनने तक वे कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहेंगे। मगर मांझी और भाजपा द्वारा दल बदल की कोशिशों को बढ़ावा देने पर विपक्ष ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद अपने सबसे भरोसेमंद जीतन राम मांझी को बिहार की कमान सौंपी थी। उन्हें भरोसा था कि मांझी वैसा ही करेंगे जैसा वह चाहते हैं। मगर सत्ता मिलने के कुछ दिनों बाद ही मांझी ने नीतीश के फैसलों को दरकिनार करना शुरू कर दिया। और यहीं से सत्ता का संघर्ष शुरू हो गया। नीतीश कुमार और उनके समर्थकों ने शुरुआती दौर में मांझी को यह सलाह देने की कोशिश की कि वह खुद इस्तीफा देकर अपनी स्थिति ठीक रखें मगर मांझी ने इस्तीफा देने से ज्यादा बेहतर यह समझा कि वे भाजपा के सहयोग से अपनी कुर्सी बचा लें। सूत्रों को कहना है कि भाजपा से हरी झंडी मिलने के बाद मांझी ने प्रधानमंत्री ने मुलाकात की और उसके बाद ही दावा किया कि वे सदन में अपना बहुमत साबित कर देंगे। उन्होंने दावा किया था कि नीतीश समर्थक कई विधायक उनके समर्थन में हैं। इसके बाद भाजपा ने भी सदन में अपना समर्थन मांझी को देने की घोषणा कर दी। राज्यपाल ने भी एक विवादित फैसला देते हुए मांझी को बहुमत सिद्ध करने को कह दिया। पूरे देश की निगाह आज बिहार में 12 बजे विधानसभा में होने वाले शक्ति परीक्षण पर लगी थी। मगर उससे एक घंटे पहले ही मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया। सूत्रों को कहना है कि मांझी सदन में अपनी फजीहत से बचना चाहते थे। नीतीश पर महादलित नेता की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए उन्होंने और भाजपा ने दलित मतों की लामबंदी की राजनीति शुरू कर दी है। बहुजन समाज पार्टी की राष्टï्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा है भाजपा द्वारा बिहार में सत्ता हथियाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद आदि अनेक प्रकार के हथकंडे अपनाने के बावजूद वहां उसे मुंह की खानी पड़ी है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के इस प्रकार के हथकंडों से पूरे देश का माहौल खराब हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस पूरी साजिश के पीछे भाजपा थी जो अब बेनकाब हो गई है।उत्तर प्रदेश के व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री अभिषेक मिश्रा का कहना है कि लोकतंत्र में जनता का विश्वास ही सबकुछ होता है। जनता अपना विश्वास विधायकों में व्यक्त करती है और उसके बाद ही विधायक अपना नेता चुनते हैं। बिहार में अगर विधायक ही जीतन राम मांझी को अपना नेता मानने से इनकार कर देंगे तो जाहिर है कि मांझी ने जनता का भरोसा तोड़ दिया था। उसके बाद इस बात के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था कि मांझी अपने पद से इस्तीफा दें। बिहार के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी का विवादों से गहरा नाता रहा है। बसपा और भाजपा का गठबंधन टूटने के बाद जब वे यूपी में विधानसभा अध्यक्ष थे तब उन्होंने भाजपा के पक्ष में दलबदल को लेकर विवादित फैसला दिया था जिसके बाद सदन में जूते-चप्पल चले थे और सदन की मर्यादा खंडित हुई थी। बिहार में जिस तरह बारह विधायकों के समर्थन वाले मांझी को उन्होंने बहुमत साबित करने को कहा उससे भी उनकी खासी आलोचना हुयी


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