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मध्यप्रदेश में पहरेदार संस्थाओं पर संकट ..!

खरी-खरी            Aug 10, 2015


sriprakash-dixit श्रीप्रकाश दीक्षित मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर स्थित मुख्य पीठ ने सूबे में मानवाधिकार आयोग के चार साल से मुखियाविहीन रहने पर सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए उससे एक हफ्ते मे सफाई मांगी है। राज्य मानवाधिकार आयोग की ऐसी दुर्दशा पर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे ने याचिका दायर की है। जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस एसके गुप्ता की पीठ ने सुनवाई के दौरान पूछा की कब तक अध्यक्ष की नियुक्ति होगी। मामले की अगली सुनवाई 14 अगस्त को होनी है। ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री चौहान की पहरेदार संस्थाओं के बारे में राय अच्छी नहीं है। मध्यप्रदेश में सूचना आयोग की भी ऐसी ही दुर्गति हो रही थी और हाईकोर्ट की तरफ से समय सीमा का डंडा पड़ने पर ही शिवराजसिंह चौहान ने इसके मुखिया और सदस्यों की नियुक्ति की थी। मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग के पिछले मुखिया जस्टिस धर्माधिकारी अगस्त,2010 में कार्यकाल पूरा होने पर पदमुक्त हो गए थे। तब से यह पद खाली पड़ा है । इतना ही नहीं एक-एक कर इसके सदस्य भी रिटायर होते गए और अब बचे रह गए सदस्य रिटायर आईपीएस वीएम कंवर मानवाधिकारों का मोर्चा संभाले हुए हैं। लगता है सूबे की सरकार चार साल मे भी विवादास्पद लोकायुक्त जस्टिस पी पी नावलेकर सरीखा मनमाफिक अध्यक्ष अपने मानवाधिकार आयोग के लिए नहीं ढूंढ पाई है। ध्यान रहे की लोकायुक्त जस्टिस नावलेकर मुख्यमंत्री चौहान को इस कदर भाए हैं की रिटायर होने के एक बरस पहले ही उनका कार्यकाल बढ़ाने के लिए नियम बदल दिए। उधर व्यापम घोटाले को सामने लाने वाले अहम किरदार डॉ आनंद राय और उनकी पत्नी डॉ गौरी राय तबादले की मार झेल रहे हैं। हाईकोर्ट,इंदौर ने उनके तबादले पर भी सरकार से दो हफ्ते मे जवाब मांगा है। प्रशांत पांडे की पत्नी को थाने में बैठाया जा चुका है। आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे भी प्रताड़ना झेलते रहे हैं। बताते चलें की ऐसे व्हिसल ब्लोअर के लिए केंद्र सरकार से एक साल पहले व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट बना चुकी है। इसके तहत राज्य सरकार को व्हिसल ब्लोअर की शिकायत सुनने के लिए अथारिटी बनानी है जिसका सरकार ने अब तक गठन नहीं किया है।


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