श्रीप्रकाश दीक्षित
प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी मध्यप्रदेश को लेकर किसी हीन ग्रंथी का शिकार नजर आ रहे हैं..? महात्मा गांधी और सरदार पटेल को जन्म देने वाले गुजरात को गिर के शेरों की पहचान से जोड़ कर मुख्यमंत्री रहते इन्हे मध्यप्रदेश को देने मी खूब अड़ंगेबाजी लगा चुके हैं। तब गिर के शेरों को कूनो-पालपुर सेंचुरी में न भेजने के लिए उन्होने पूरी ताकत झोंक दी और दो बार सुप्रीम में भी दस्तक दी थी।
मध्यप्रदेश के पक्ष में आए सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद भी वे शेरों की शिफ्टिंग मे लगातार टालमटोल करते चले आ रहे हैं। अब उनके मंत्री प्रकाश जावडेकर ने इस मामले पर लोकसभा मे 25 साल की जो बहानेबाजी की है उससे इस मुद्दे पर मोदीजी के इरादे खुल कर सामने आ गए हैं। इधर खबर आई है कि मध्यप्रदेश को केंद्र की मनमोहन सरकार के समय जितनी मदद मिल रही थी मोदी राज में उसमे कटौती हो गई है.? तीन हजार की कटौती तो इसी साल कर दी गई है।
चीतों को अफ्रीका से और शेरों को गिर से लाकर बसाने के लिए मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में सेंचुरी स्थापित की गई है।जब गुजरात की मोदी सरकार गिर के शेर मध्यप्रदेश को देने को राजी नहीं हुई तब एक एनजीओ ने कोर्ट मे याचिका लगा दी। अंततः 2013 मे सुप्रीमकोर्ट ने गुजरात को कुछ शेर मध्यप्रदेश भेजने के आदेश दिए। यह मामला मोदी के हठीले रवैये के कारण दुबारा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा पर गुजरात की अपील खारिज हो गई । सुप्रीम कोर्ट का फैसला आए भी दो एक साल हो गए पर आदेश का पालन नहीं हुआ।

मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद लगता है शिवराज सरकार ढीली पड़ गई है जबकि मोदी सुप्रीमकोर्ट के आदेश का पालन ना करने के लिए कटिबद्ध लगते हैं। लोकसभा मे केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शेरों की शिफ्टिंग पर लीपापोती वाला बयान देते हुए कहा कि इसमे 25 साल लग सकते हैं।
उधर अमेरिका की ताजा रिपोर्ट मे भारतीय शेर की प्रजाति को लुप्तप्राय श्रेणी में रखा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है की यदि भारत के शेरों को बचाना है तो उन्हे जंगलों मे बिना बाधा के घूमने-फिरने के प्रबंध करने होंगे जो अकेले गिर मे मुमकिन नहीं है। उधर गुजरात मे बाढ़ मे एक दर्जन शेरों के मारे जाने की खबर है । मध्यप्रदेश मे इन्हे बसाने के पीछे भी विलुप्त होने की आशंका को समाप्त करना है। अब केंद्र और दोनो सूबों मे भाजपा सरकारें हैं तो फिर देर किस बात की..?

उधर जनसत्ता के मुताबिक मनमोहन सरकार के जमाने में केंद्र से जितनी मदद मध्यप्रदेश को मिल रही थी,मोदी राज मे उसमे कटौती हो गई है..! तीन हजार करोड़ की कटौती तो इसी साल हो गई। साल 2012-13 मे केंद्र ने सूबे को 120 अरब से ज्यादा की रकम दी थी । इसके उलट मोदी सरकार बनने के बाद सहायता की कुल रकम 90 अरब तक ही पहुँच पाई है।
मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया ने विधानसभा में जो आंकड़ा पेश किया उससे सच्चाई सामने ही गई। उन्होंने माना कि केंद्र से सूखा पीड़ितों की मदद के लिए जो धनराशि मांगी थी वह अभी तक नहीं मिल पाई है।इस कारण पीड़ितों की मदद के लिए बजट मे 20 फीसदी तक कटौती करना पड़ रही है जिससे विकास कार्यों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। अब केंद्र में अपनी सरकार है तो भेदभाव का आरोप कैसे लगाएँ.?[कतरने एचटी, भास्कर और जनसत्ता की]
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