Breaking News

मने हलके में फिर से नहीं न लोगे...? लालू को ख़ारिज करना चुनावी पंडितों की भूल

खरी-खरी            Nov 08, 2015


pawan-lalchandपवन लालचंद आखिर बिहार के जनादेश पर मेरा आकलन सटीक बैठा और ये न कोई सट्टा था न कोई तुक्का...कल की पोस्ट में सामान्य और सीधे से कारण दे चुका। दरअसल नेता भले अब भी जनता को निरा बुद्धू मानते रहे पर हर गुज़रते चुनाव जनता जताती आयी है कि 'ये पब्लिक है सब जानती है' का जुमला यूँ ही नहीं बना। बिहार चुनाव की रणभेरी बजी तभी दोनों तरफ की तैयारियों ने इशारा साफ कर दिया था कि नतीजे निर्णायक होंगे। कहते रहिये लालू प्रसाद को ललुआ और राइट ऑफ़ करिये हर चुनाव में, लेकिन लालू यादव ने अकेले मोदी के बयानों का तोड़ निकाल कर साबित कर दिया कि लालू को ख़ारिज करना चुनावी पंडितों की भूल है..। लालू ने भागवत से लेकर मोदी शाह के हर बयान को खूब भुनाया और भाजपा खेमा सिर्फ मुँह बनाकर रह गया.. लालू ने 2014 के चुनाव के हीरो मोदी को बिहार के रण में किसी भी दाँव में भारी नहीं पड़ने दिया..और मुलायम को भी बताया कि सबसे मुश्किल दौर में ही नेता रास्ता बनाता है न कि ज़मूरे सीबीआई तोते के डर में कंपकंपी छुड़ाते हैं...फिर लालू-नीतीश के साथ ने सियासत के एक और एक ग्यारह के मुहावरे को सही साबित कर दिया...सोनिया गांधी ने भी राहुल गांधी की नौटंकी को नज़रअंदाज़ कर महागठबंधन का मंच साझा कर फिर साबित किया कि देश के मिज़ाज को समझने में राहुल गांधी को और वक़्त लगेगा...। ...वो छोटा संकेत नहीं था जब महागठबंधन के पहले मेगा शो में लालू सोनिया और नीतीश के बाद बोले..साफ हो गया था उसी दिन कि वोट की पोट किसके पास थी..और मुझे नहीं लगता कि 2009 के बाद सत्ता की संजीवनी सूंघकर लालू यादव जंगलराज रिटर्न्स का सपना पालने की हिमाक़त अब करेंगे। आखिर रेलमंत्री रहते लालू नयी छवि गढ़कर दिखा गये थे कि सियासत की निर्णायक पारी खेलने की छटपटाहट बाकी है.. खैर अब तो कई ठो सियासी उत्तराधिकारियों को राजकाज भी सँभलाना है...। बहरहाल भाजपा को उस ग्रंथि से उभरना होगा जो किसी ज़माने में दशकों कांग्रेस पर हावी रही कि एक बार सत्ता घर प्रवेश कर गयी तो फिर उनकी सियासी जागीर की चौकीदार बनकर रहेगी...गया वो ज़माना जब सत्ता पाकर पाँच साल बाद जनता से मिलन होता था..अब तो जी थोड़ा झपके नहीं कि अगले पल किसी राज्य न किसी राज्य की जनता झिंझोड़कर जगा देगी..तपाक से...। बिहार ने कहा है कि ये डीएनए पैकेज गाय बीफ दादरी के खेल नहीं चाहिये..मेहनतकश दाल रोटी चैन से खा सके ऐसा माहौल मिले नहीं तो बिहार के बाद पाँच अगले साल और पाँच उसके अगले साल बिहार तैयार ....।


इस खबर को शेयर करें


Comments