शिवराजसिंह चौहान भले खुद को आम आदमी से बना मुख्यमंत्री बताते नहीं थकते हों पर दस बरस की सत्ता ने उन्हें अहंकारी बना दिया लगता है, तभी तो वे शाही अंदाज मे ऐसे फैसले ले रहे हैं। एक साल पीछे चलते हैं जब मर्दानी की हीरोइन रानी मुखर्जी भोपाल आईं, शिवराजसिंह चौहाल से मिलीं और अगले ही दिन फिल्म को टेक्स फ्री करने का फरमान सीएम बंगले से सुना दिया गया।
इसी प्रकार महेश भट्ट हीरोइन विद्या बालन के साथ आते हैं , दोनों मुख्यमंत्री से मिलते हैं और अगले दिन रिलीज होने से पहले ही फिल्म को टेक्स फ्री करने का फरमान बंगले से सुना दिया जाता है। ना तो मर्दानी और ना महेश भट्ट की अधूरी कहानी को राष्ट्रीय अखबारों के फिल्म समीक्षकों ने एक स्टार देने के लायक भी नहीं माना । मुख्यमंत्री सपरिवार पीकू फिल्म देखने जाते हैं और अगले ही दिन इस फिल्म को भी टेक्स फ्री कर दिया जाता है।
मुख्यमंत्री द्वारा टेक्स फ्री की गईं तीनों फिल्मों मे एक ही समानता है कि तीनों बड़े बैनरों और बड़े सितारों कि फिल्में हैं। ऐसे मे छोटे बजट की मसान और मांझी-द माउंटेनमेन कि फिक्र कौन करेगा।
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