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मोदी के लिये परीक्षा साबित होगा बालश्रम विधेयक

खरी-खरी            Feb 08, 2015


मल्हार मीडिया डेस्क नोबेल पुरस्कार विजेता बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी का मानना है कि बाल श्रम पर भारतीय संसद में रखा गया विधेयक नई सरकार के लिए एक ‘परीक्षा’ साबित होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि नरेंद्र मोदी सर्वाधिक शोषित बच्चों के मुद्दों को अपनी राजनीतिक प्राथमिकता में कैसे लेते हैं। 61 वर्षीय सत्यार्थी बाल श्रम निषेध एवं नियमन अधिनियम में संशोधन के बारे में बात कर रहे थे। इस संशोधन में 14 साल की आयु सीमा तक सभी तरह की बाल मजदूरी को प्रतिबंधित करना और खतरनाक कार्यों के संदर्भ में 18 साल की उम्र तक बाल मजदूरी पर रोक लगाने का प्रावधान है। अपने लंदन प्रवास के दौरान सत्यार्थी ने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में सत्यार्थी ने कहा कि कानून में पुनर्वास को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए और तब ही यह कानून अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के कनवेंशन के अनुरूप होगा। हम प्रतीक्षा कर रहे हैं यह मौजूदा सरकार के लिए एक परीक्षा है कि वे सर्वाधिक शोषित बच्चों के मुद्दों को अपनी राजनीतिक प्राथमिकता में किस तरह से लेते हैं। हालांकि मौजूदा सरकार सामाजिक एजेंडे पर कई साहसिक पहल कर रही है। चाहे वह स्वच्छ भारत अभियान हो या फिर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। ये बहुत बुनियादी सामाजिक कदम हैं जो सरकार और प्रधानमंत्री ने खुद उठाए हैं। मैंने प्रधानमंत्री से खुद बात की है कि हम स्वच्छ भारत या समृद्ध भारत बनाने का प्रयास करते हैं तो यह तभी स्थायी होगा जब हम बाल अनुकूल भारत का निर्माण करते हैं। स्थिरता और बाल संरक्षण एक सिक्के के दो पहलू हैं। अगर हम अभी बच्चों में निवेश करते हैं तो ही हम समाज को स्थायी रूप दे सकेंगे।


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