संदीप नाईक
सारी बुराईयाँ और अच्छाईयां एक तरफ रखकर मेरे कुछ बुद्धिजीवी दोस्तों ने और शिष्यों ने जब बिहार चुनाव पर मजदूर सस्ते मिलते रहेंगे, जंगल राज बना रहेगा और लालू नीतिश की जोड़ी को देश और बिहार के लिए खतरनाक बताया, तो मुझे बहुत दुःख हुआ, साथ ही बिहार के इस व्यापक जनमत को मूर्खतापूर्ण बताना भी करोड़ों मतदाताओं का अपमान है और नेतृत्व का अपमान।
यह बेहद दुखी करने वाली मानसिकता है कि लोग आज यह कह रहे हैं कि अभी भी बिहारी मजदूर सस्ता रहेगा और मिलता रहेगा, दिल्ली में बिहारी गन्दगी फैलाते रहेंगे, सत्तू खाकर उल्टियां करते रहेंगे और सारे देश में गलत सलत अंग्रेज़ी बोलते रहेंगे।
यह भक्ति भाव नहीं बल्कि एक तरह का दिमागी "रेसिसिज्म" है जो सवर्ण मानसिकता को दर्शाता है। मेरे इनबॉक्स में आकर लोगों ने बिहारियों को माँ बहन की गालियों से नवाजा और कई दोस्तों को आज अपनी लिस्ट से मुझे हटाने का निर्णय लेना पडा। यह मानसिकता कितनी खतरनाक है कि जो लोग बरसों से अमेरिका चले गए विहिप और भाजपा को चन्दा देते हैं, वे बिहार के जमीनी हालातों के बारे में बताते नहीं अघाते जो घटिया मीडिया परोसता है।
साथ ही मीडिया के कुछ दोस्तों को भी ब्लाक किया जो छदमी पत्रकार निकले जिनका उद्देश्य एक राज्य को टार्गेट बनाकर सिर्फ बदनाम करना था, यह अगर मीडिया की हकीकत है तो शर्मनाक है। खासकर के माखनलाल पत्रकारिता विवि, भोपाल से निकले छात्र जिन्हें अपने पैजामे का नाड़ा बांधना भी अभी नहीं आता और अभी दूध के दांत भी नहीं टूटे। ये बच्चे घटिया अखबारों और टटपूंजिए चैनलों में काम करके अपने को प्रभाष जोशी या राहुल बारपुते के बाप समझ रहे हैं, को भी निकाल बाहर किया अपनी लिस्ट से।
चुनाव में पार्टियों का जीतना-हारना लगा रहता है, प्रतिक्रिया आना भी स्वाभाविक है, मजाक भी चलता है पर इस बहाने से आप एक मेहनतकश कौम की अस्मिता पर सवाल उठा कर और बजाय उनके बेहतर जीवन, मजदूरी और सुरक्षा की बात करने के आप मखौल उड़ा रहे है। कितना घटियापन है, क्यों पढ़े लिखे इतना आप कि आप अपने माँ बाप की मेहनत को भूल गए, अपने पुरखों की मजदूरी को भूल गए? आपके बाप-दादा अमेरिका में पैदा नहीं हुए, इन्ही खेतों और जमीन पर काम करके आपको इस लायक बनाया कि आप कमा खा सको, पर आप तो कुलपापी और गद्दार निकले।
अब समय है सब भूलकर लोगों का श्रम का सम्मान करना सीखें और यदि बिहार का कोई बंधू दिखाई दें तो उसे पर्याप्त समय देकर उसके साथ बात करें और अपने दिमाग के जाले साफ़ करें, वरना याद रखें कि कल अमेरिका में आपको भी मजदूर ही कहा जाएगा कि भारत के सूचना प्रौद्योगिकी में दक्ष और कौशल से परिपूर्ण और सस्ते मजदूर के रूप में आ जाते हैं हम गोरों के तलुए चाटने..............!!!
संदीप नाईक के फेसबुक वॉल से
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