Breaking News

लाखों की मौन विज्ञापनबाजी में भूकंप पीढि़तों की क्या भलाई

खरी-खरी, मीडिया            May 06, 2015


श्रीप्रकाश दीक्षित मध्यप्रदेश सरकार ने नेपाल भूकंप मेें मारे गये लोगों की आत्माओं की शांति के लिए 5 मई को सुबह 11 बजे एक मिनिट के मौन का आयोजन किया। यहाँ तक तो ठीक पर इसके लिए दैनिक अखबारों मेें विज्ञापन प्रकाशित करवा कर सरकारी खजाने के लाखों रुपये फूँक दिये गए। इतना ही नहीं विज्ञापन पहले पेज पर छपवाए गए जिसका अखबार दुगुना पैसा वसूलते हैं। सबसे बड़े और जाहिर है कि सबसे महंगे दैनिक भास्कर के प्रदेश के सारे संस्करणों मे विज्ञापन छपने पर ही दस-पंद्रह लाख रुपये खर्च हो गए। फिर दीगर हिन्दी अखबारों और हिंदुस्तान टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे अंगरेजी अखबारों का खर्च जोडऩे पर यह रकम पचास लाख रुपये हो जाती है। लाख टके का सवाल है कि मौन के इस ड्रामे और विज्ञापनबाजी से पीडि़तों को क्या मिला..? यदि यह रकम भारत सरकार के भूकंप राहत कोष मे जमा कर दी जाती तो पता नहीं कितने पीडि़तों का भला होता..! मौन का भी कोई मतलब नहीं है क्योंकि दुनिया भर से मदद का सैलाब नेपाल पहुँच रहा है। हमारे देश से नेपाल के विशेष सम्बन्धों के चलते हर तरफ से मदद के लिए लोग आगे आ रहे हैं। हमारे प्रदेश के भी लोग मदद मेेें पीछे नहीं हैं,मध्यप्रदेश पुलिस के करीब एक लाख जवानों-अफसरों ने एक दिन का वेतन देने की घोषणा की है। इसलिए मदद के लिए जनता को प्रेरित करने के नाम पर मौन और महंगे विज्ञापन की कोई जरूरत नहीं थी। रही-सही कसर विज्ञापन मे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के फोटो ने पूरी कर दी। विज्ञापन मेें मौन की सूचना और मुख्यमंत्री के फोटो हाइलाइट हो रहे हैं राहत कोष मेें राशि देने संबंधी सूचना दबी दबी सी छपी है। यदि सरकार विज्ञापन देने पर उतारू ही थी तो उसे किसी पीडि़त का फोटो देकर मदद कि अपील करवानी थी जो लोगों को प्रेरित करती। पता नहीं शिवराज जी को इस प्रकार की नाटक-नौटंकी का मशविरा कौन देता है..? कम से कम आपदा के मारों के नाम पर इस प्रकार का तमाशा और फिजूलखर्ची नहीं होना थी।


इस खबर को शेयर करें


Comments