वेन्टिलेटर पर पडी संस्कृत पर भी पड़ जाय एक उदार नजर
खरी-खरी, मीडिया
Sep 10, 2015
डॉ.लक्ष्मीनारायण पांडे
हृदय से,आभार,आयोजकों, प्रायोजकों (शासकों) के प्रति,निज की, निजता की, निज राष्ट्र की भाषा हिन्दी अंग्रेजी अखबारों में भी अच्छी खासी खबर बनी । हिन्दी चर्चा बनी, विचार हुआ, मन्थन हुआ ।
मेरा उन तमाम तमाम आयोजकों, प्रायोजकों (शासकों)से विनम्र आग्रह, जिस भाषा से हमारी निज और निजता की भाषा हिन्दी प्राण पाती है, शब्द और अर्थ पाती है, शैली और साहित्य पाती है, जीवन और जीवन्तता पाती है, और हिन्दी ही नहीं सारी हमारे निज और निजता की भाषाएं जिस संस्कृत से, जिस अमर और अमरता की वाणी से प्राण पाती हैं, वह संस्कृत आज वेन्टीलेटर पर है, मरणासन्न है,जिसमें भारत और भारतीयता की आत्मा बसती है,जिसमें सभ्यताओं को विश्वबन्धुता का पाठ पढाने के हमारे पुरखों के सन्देश भरे हैं।
जिसके बिना हमारे, हमारे देश का कोई परिचय नहीं, वह भाषा, वह संस्कृत सच में वेन्टिलेटर पर है,आपकी आयोजकों की, प्रायोजकों की, (शासकों) की नजर, सदय नजर, उदार नजर, निज और निजता के भाव से भरी नजर, इस वेन्टिलेटर पर पडी संस्कृत पर भी पड़ जाय, बस एक सदय उदार नजर, बस, अब संस्कृत का महिमागान नहीं,कुछ सार्थक, सार्थक, ,सार्थक ।
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