Breaking News

व्यापमं के हल्ले के बीच कमल की तगडी जीत...!

खरी-खरी            Aug 16, 2015


ममता यादव नगरीय निकाय चुनावों में भाजपा सरकार को मिली तगडी जीत ये साबित करती है कि या तो मध्यप्रदेश की जनता व्यापमं और डीमेट घोटाले जैसी खबरों की आदी हो चुकी है या सिर्फ उसे ये आभासी दुनियां की बात लगती है। क्योंकि सच्चाई यही है कि मध्यप्रदेश में व्यापमं घोटाला नई चीज नहीं है। यहां करीब एक दशक से टीसी,डीसी,सिंगल और कभी—कभी पूरे के पूरे पेज व्यापमं घोटाले को समर्पित रहे हैं। हां पत्रकार अक्षय सिंह की मौत ने नेशनल और इंटरनेशनल मीडिया का ध्यान इस ओर खींचा और ये आम सा दिखने वाला मुद्दा इलेक्ट्रानिक मीडिया में इस कदर छाया कि आज भी प्राइमटाईम पर यदा—कदा नजर आ ही जाता है। ज्यादा समय नहीं हुआ जब दिन—दिन भर के टीवी पर स्लॉट चले हैं व्यापमं को लेकर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राहत की सांस ले सकते हैं और ले रहे हैं इन नतीजों के बाद कि जनता उन पर भरोसा कर रही है। इसीलिये उन्होंने फेसबुक पर लिखा “इस चुनाव में भी नकारात्मक राजनीति करने वालों को जनता ने पूरी तरह नकार दिया है। विकास के लिए प्रतिबद्ध सरकार को जनता ने पुन: अपना स्नेह दिया।” कुछ दोस्त दिल्ली से भोपाल आये थे पिछले माह ये जानने कि वास्तव में व्यापमं इतना भयावह है भी या फिर आभासी दुनियां में हल्ला ज्यादा मचा दिया गया। उन्होंने अपने इन्वेस्टीगेशन में क्या पाया पता नहीं। मगर एक के बाद एक निकाय चुनावों और उपचुनावों में भाजपा की रिकार्ड तोड जीत तो इशारा सिर्फ इस तरफ करती है कि सरकार पर ऐसे आरोप न तो अभी जनता के गले उतर रहे हैं न वह इन्हें पचाने में सक्षम दिख रही है। ये अलग बात है कि सरकार के अपने ही आनुषांगिक संगठनों के युवा सरकार से नाराज दिख रहे हैं। उदाहरण व्यापमं का ​ही देख लीजिये व्हीसल ब्लोअर भी संघ की भूमिका वाले हैं। कांग्रेस के लिये अब सोचने वाली बात ये है कि सिर्फ राजधानी के गलियारों में ही नहीं एसी कमरों से निकलकर नई रणनीति बनाने जनता के बीच अपनी पैठ बनाने के बारे में उसे दोबारा गंभीरता से सोचने की जरूरत है। फिलहाल तो कांग्रेस के हर वार की काट लेकर बैठे हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और भाजपा।


इस खबर को शेयर करें


Comments