श्रीप्रकाश दीक्षित
भोपाल मे अरबों रुपये की सरकारी जमीन पर करोड़ों रुपये फूँक कर शहीदों की स्म्रति मे शौर्य स्मारक का निर्माण कर रही मध्यप्रदेश सरकार की शहीदों के प्रति कितनी श्रद्धा है इसका पता तब चला जब भोपाल के सपूत कोस्टागार्ड के डिप्टी कमांडेंट मनोज सोनी समुद्री सीमा की चौकसी करते हुए शहीद हो गए।
वे उस विमान में नेवीगेटर थे जो चौकसी करते हुए समुद्र मे क्रेश हो गया। एक माह की खोज के बाद गहरे समुद्र मे इसके अवशेष होने के संकेत मिले। परिवार को 9 अगस्त को बता दिया गया की मनोज अब इस दुनिया में नहीं है।
मनोज के पिता राधेश्याम सोनी ने दुखी होकर बताया कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने अपने एक मंत्री को सलामी देने भेजा । उनके वित्त मंत्री ने खुद आकर राशि का चेक प्रदान किया। रक्षा मंत्री और अन्य अफसर लगातार उनके संपर्क में रहे पर मध्यप्रदेश सरकार का कोई भी नुमाइंदा न झाँकने आया न ही हालचाल पूछने की औपचारिकता ही किसी ने निभाई ।
यहाँ तक की 14 अगस्त को हुई श्रद्धांजलि सभा में भी सरकार का कोई प्रतिनिधि झाँकने तक नहीं आया। वहाँ मौजूद सभी को सरकार का यह रवैया अखरा। यहाँ सवाल उठता है कि जब सरकार को अपने प्रदेश के शहीद शौर्यवीरों में कोई दिलचस्पी नहीं है तब सफ़ेद हाथी जैसे शौर्य स्मारक के निर्माण का क्या औचित्य रह जाता है..?
ये वही सरकार है जिसके मंत्री मुख्यमंत्री आत्महत्या करने वालों और फर्जी एस्डि अटैक की कहानियां सुनाने वालों से मिलने अस्पताल और घर तत्काल पहुंच जाते हैं।
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