Breaking News

सरकारें किसी की भी रही हों भारतीय होने पर कभी शर्म महसूस नहीं हुई मोदीजी!

खरी-खरी            May 19, 2015


ममता यादव कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से विदेशी धरती पर कांग्रेस के बारे में सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा था कि इस बारे में मैं सिर्फ भारत में ही बोलूंगा। यहां मुद्दा यह नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी ने विदेशी धरती पर कांग्रेस की बुराई की। मुद्दा यह है कि प्रधानमंत्री शंघाई में अप्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुये ये बोल गये कि पहले लोग भारतीय होने पर शर्म करते थे लेकिन अब देश का प्रतिनिधित्व करते हुए गर्व होता है। मोदी की इस बात पर शंघाई में रह रहे भारतीयों ने भी अपील की थी कि वे कम से कम विदेशी धरती पर अपने देश की बुराई ने करें। दरअसल पिछले साल विदेशों में रहे सभी भारतीयों ने सरकार के बदलने की उम्मीद की थी। ऐसा ही कुछ बयान मोदी ने सोमवार को सियोल में भारतीयों को संबोधित करते हुये भी दिया था। यहां यह कहना अतिशंयोक्ति नहीं होगी कि सरकार बनने के बाद बुजुर्गों को किनारे कर चुकी भारतीय जनता पार्टी में अब पुराने नेताओं की रीति-नीतियों के लिये भी कोई भी जगह नहीं बची है। नहीं तो मोदी को विदेशी धरती पर अटलजी का व्यवहार जरूर याद रहता। मोदी के इस व्यवहार की निंदा शिवसेना ने भी की है। भारतीयों में नाराजगी इस बात को लेकर ज्यादा है कि मोदी ने ये कहा कि किसी समय भारतीय होने पर लोगों को शर्म महसूस होती थी। सच्चाई तो यह है कि सरकारें किसी की भी रही हों देश में माहौल जो भी रहा हो लेकिन किसी भी भारत निवासी को कभी अपने भारतीय होने पर शर्म महसूस नहीं हुई। अलबत्ता इस देश की सरकारों ने जरूर कई मौके दिये हैं इस देश को सर झुकाने के। सवाल यह भी है कि आखिर ऐसा क्या बदल गया एक साल की मोदी सरकार में कि भारतीय खुद पर गर्व करने लगें। मोदी यह कहते कि उनकी सरकार आने के बाद लोग ज्यादा खुशहाल हुये हैं सुखी हुये हैं तो भी समझ आता मगर यहां तो भारतीयता को ही उन्होंने विदेशी धरती पर भूतकाल महसूस की गई शर्म बता दिया। अपने देश में पक्ष-विपक्ष का एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप समझ आता है, लेकिन दूसरे देश में कदापि नहीं। आखिर दुनियां को क्या दिखाना चाहते हैं मोदी वे भारत के तारणहार हैं? हैं भी तो ये किस प्रकार की देशभक्ति है? चीन में उनकी ही उपस्थिति में वहां के सरकारी चैनल ने भारत का वह विवादस्पद नक्शा दिखाया, जिसमें अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर गायब हैं। मोदीजी चुप रहे क्यों? तब उनका सर शर्म से सिर नहीं झुका। तब उनको अपनी वो शपथ याद नहीं आई जो लोकसभा चुनावों के दौरान रैलियों में खाते थे? सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा,मैं देश नहीं बंटने दूंगा। प्रधानमंत्री ने विदेश यात्राओं के दौरान कई सराहनीय कार्य किये हैं लेकिन उनके इस व्यवहार से देशवासी आहत हुये हैं। मोदीजी स्पष्ट करें क्या वाकई उन्हें कभी भारतीय होने पर शर्म महसूस हुई थी। मगर क्यों? लेकिन सारे भारतीयों की तरफ से एक बार फिर ये कहना जरूरी हो जाता है कि इस देश में सरकारें किसी की रही हों इस देश के वासियों को कभी खुद को भारतीय कहने पर शर्म महसूस नहीं हुई न होगी। सरकारें शर्मसार कर दें वो अलग बात है!


इस खबर को शेयर करें


Comments