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सरकार ने घुटने टेके- 350 करोड़ की भरपाई कौन करेगा..?

खरी-खरी            May 30, 2015


श्रीप्रकाश दीक्षित लाख टके का सवाल है की यदि वसुंधराराजे सिंधिया की सरकार को गुर्जरों के आगे ऐसे ही हथियार डालने थे तो आठ दिन तक आम आदमी की भोगी रोंगटे खड़े कर देने वाली तकलीफ़ों और रेल, रोड और उधोगों को हुए 350 करोड़ से अधिक के नुकसान की भरपाई कौन करेगा.? नुकसान का यह आंकड़ा सरकार ने राजस्थान हाइकोर्ट मे पेश अपने हलफनामे मे दिया है। अकेले रेल्वे को 128 करोड़ का नुकसान हुआ है जिसमे ईटिकिट के रद्द होने और ट्रैक के तोड़फोड़ से हुआ नुकसान शामिल नहीं है। केंद्र और राज्य मे हुकूमत कर रही भारतीय जनता पार्टी यह रकम सरकारी खजाने मे जमा कराएगी ..? आखिर जवाबदारी तो उसी की बनती है। हाइकोर्ट ने लोगों को हुई तकलीफ़ों के लिए गुर्जरों के साथ सरकार जिसमे कलेक्टर,कमिश्नर,आईजी और डीजीपी भी शामिल हैं-को बराबर का जिम्मेदार माना है। प्रश्न यह है की सरकार को गुर्जरों के सामने घुटने टेकने ही थे तो आठ दिन तक अराजकता का नंगा नाच किसलिए..? होना तो यह था की निकम्मी और नाकारा सिंधिया सरकार को इस अराजकता और कुशासन के लिए कैलेंडर मे तारीख बदलने से पहले बर्खास्त कर जाता। कहाँ हैं अच्छे दिन और सुशासन का दम भरने वाले नरेंद्र दामोदरदास मोदी..! उन्होने तो वसुंधराराजे से सफाई तक नहीं मांगी, डांट फटकार का तो सवाल ही नहीं है। कुछ नहीं तो राजधर्म का पालन न करने पर अपनी राज्य सरकार के खिलाफ कम से कम सख्त बयान ही जारी कर देते। इस आंदोलन से कुल मिलकर अराजकतावादिओं तक यह संदेश गया है की लल्लू सरकारों से आप दादागिरी के बल पर कुछ भी हासिल कर सकते हैं। रेलों, सड़कों और ट्राफिक को बंधक बना लो, जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दो और आम आदमी का जीना हराम कर दो ,तभी आपकी मनचाही मांगे मानी जाएँगी क्योंकि सरकार ऐसे ही हथकंडों की जुबान समझती है..!


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