
विजयलक्ष्मी विभा
तीन रोज तो कट गये , बडे मौज में यार ,
अब झेलेगी गालियाँ, बीजेपी सरकार ।
रहे विरोधी ताकते , खोल खिडकियाँ द्वार ,
मौका मिलते ही करें ,कटुतम शब्द प्रहार ।
बोलो मोदी , क्यों हुये , तुम पर फिदा बराक ,
क्या जादू तुमने किया , जमी इस कदर धाक ।
दुनिया वालो देख लो , इस भारत की शान ,
मोदी कुर्ता भी यहाँ , देने लगा वयान ।
भाई तुम्हें प्रणाम है , हो सचमुच उस्ताद ,
किसको मिलती है भला , जग में ऐसी दाद ।
क्या होती है दोस्ती , तुमने रखी मिसाल ,
कैसे अपना हो गया , दूर देश का लाल ।
बडे मधुर ये पल लगे , मिली दृगों को तृप्ति ,
दो देशों के बीच जब देखी यों अनुरक्ति ।
सात समंदर पार से , लाये इतना प्यार ,
इससे बडा बजार में क्या मिलता उपहार ।
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