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सामयिक प्रतिक्रिया

खरी-खरी            Jan 29, 2015


vijay-laxmi1 विजयलक्ष्मी विभा तीन रोज तो कट गये , बडे मौज में यार , अब झेलेगी गालियाँ, बीजेपी सरकार । रहे विरोधी ताकते , खोल खिडकियाँ द्वार , मौका मिलते ही करें ,कटुतम शब्द प्रहार । बोलो मोदी , क्यों हुये , तुम पर फिदा बराक , क्या जादू तुमने किया , जमी इस कदर धाक । दुनिया वालो देख लो , इस भारत की शान , मोदी कुर्ता भी यहाँ , देने लगा वयान । भाई तुम्हें प्रणाम है , हो सचमुच उस्ताद , किसको मिलती है भला , जग में ऐसी दाद । क्या होती है दोस्ती , तुमने रखी मिसाल , कैसे अपना हो गया , दूर देश का लाल । बडे मधुर ये पल लगे , मिली दृगों को तृप्ति , दो देशों के बीच जब देखी यों अनुरक्ति । सात समंदर पार से , लाये इतना प्यार , इससे बडा बजार में क्या मिलता उपहार ।


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