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सीएम या रक्षा मंत्री से क्‍या? अपराधी हमेशा अपराधी ही रहेगा!

खरी-खरी            Jul 10, 2015


कुमार सौवीर मायावती सरकार में सपा ने अपराधियों के खिलाफ जंग छेडी थी। मायावती ने तय किया कि उस दिन पूरी राजधानी जाम रहेगी। राजभवन, सचिवालय, मुख्‍यमंत्री कार्यालय और आसपास के इलाके को बैरीकेडिंग के बल पर मायावती की पुलिस ने चोक कर दिया था। हजारों की संख्‍या में पुलिस और सैकडों की तादात में सपा कार्यकर्ता मौजूद थे। एक हाथ भी बाहर निकला, तो पुलिस की लाठी बज गयी। लेकिन अचानक सायरन बजाती एक कार निकली। पुलिस ने बैरीकेटिंग हटायी, कार बाहर निकलते हुए राजभवन की ओर बढ़ गयी। लो, हो गयी व्‍यवस्‍था ध्‍वस्‍त। यह कार मुलायम सिंह यादव की थी। एक जंगजू योद्धा का काफिला। जिसने समाजवादी के लिए पूरी जीवन समर्पित कर दिया। मैं अभिभूत था मुलायम के इस प्रदर्शन से। नेता तो ऐसा ही होना चाहिए तो हमेशा नया सोचे और नया करे। ऐसा जो जनता पलक-पांवड़े बिछा दे। लेकिन आज मेरा दिमाग घिन्‍ना रहा है। मुझे शर्म आ रही है कि मुझे उस दिन वाले मुलायम को इतना सम्‍मान क्‍यों दिया। अपने अादर्श को लेकर घृणित स्‍खलन को महसूस करना शायद जीवन का कोई सर्वाधिक पतन से भी बढ कर है। मुलायम सिंह यादव मैं शर्मिदा हूं कि मैंने तुम्‍हारे चित्र को सम्‍मान दिया। सॉरी। अभी यशवंत सिंह ने मुझे मेरी पोस्‍ट पर कमेंट के तौर पर बताया कि आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को मुलायम सिंह यादव ने धमकी दी है। कितना शर्मनाक है यह मुलायम। तुम्‍हारे चरित्र से सर्वथा विपरीत। तुमने अपने इलाके के गैंगवार में न जाने कितनों को मौत के घाट उतारा, लेकिन तुमसे किसी ने भी कोई जवाब नहीं मांगा। किसी में हिम्‍मत तक नहीं पड़ी इस बारे में। सिर्फ इसलिए कि तुम आम आदमी के नेता हो। लेकिन आज मुझे तुमसे घृणा हो गयी। क्‍योंकिआज मैं खुल कर कहता हूं कि तुम अपराधी हो। भाड़ में जाए अमिताभ ठाकुर। उसने क्‍या किया था रामवीर सिंह के यहां अमिताभ के साथ, मुझे नहीं पता। हो सकता है कि वहां अमिताभ ने उसकी या उसके लोगों की ऐसी की तैसी की रही हो। इसमें कोई खास बात तो ही नहीं है ना। वजह यह कि अपराधी का चरित्र तो अपराध का ही होता है। चंद अपराधियों ने किसी सैनिक को घेर लिया। उसे थप्‍पड़ मार दिया। उसे लातों-घूसों से पीटा। उसे बेल्‍ट से ठोंका। उसे थूका, या उसे थूक कर चटाया हो। या फिर उसका गुदा-भंजन करा दिया हो। तो भी कोई बात नहीं। इसमें कोई बात खास है ही नहीं। लेकिन जिस तरह अमिताभ से फोन पर उसके बारे में फोन किया, वह तो स्‍तब्‍ध ही कर देना है। अच्‍छा , एक बात बताओ मुलायम चच्‍चा। तुम हो क्‍या। सिर्फ इतना ही ना, कि एक पार्टी के अध्‍यक्ष हो। दीगर बात है कि एक प्रदेश तक सीमित हो। तो रहो। गुंडई करते रहो। मुझे मत फंसाओ। मैं तुम्‍हारी करतूतों के लिए हर्गिज जिम्‍मेदार नहीं हो सकता हूं। मुझे खूब खबर है कि जिस रामवीर की घटना को लेकर तुमने अमिताभ का जिक्र किया है, उस में तुम्‍हारे चंद गुंडों ने अमिताभ ठाकुर के साथ बेहद अभद्रता ही नहीं, बल्कि अपमान की पराकाष्‍ठा तक का प्रदर्शन किया था। हो सकता है कि तुम्‍हारे इशारे पर कुछ लोगों ने या अनजाने में अमिताभ ठाकुर की कुटम्‍मस किया हो। लेकिन उसके बाद चूंकि तुमने उस पर कोई भी टिप्‍पणी नहीं की, मामला डस्‍टबिन कर डाल दिया। ऐसे में अब जरूरी है कि हम तुम्‍हारी व्‍यवस्‍था को इंगित करें जिसके चलते इस पूरे प्रदेश में अनाचार का पहलाी कदमपहली शुरू हुई थी। वैसे, एक बात तो बताओ, कि तुम्‍हारे आय के स्रोत क्‍या हैं। कितना माल पेल लिया है तुमने। किससे मिल कर पेलवाया है तुमने यह रकम। सीधी बात तो यह है कि:- अब कितनी रकम चाहिए। फौरन बताओ। लेकिन जल्‍दी बताओ। लेकिन सबसे बडी बात तो यह है कि:- मुलायम चच्‍चा। मेरी मारने-मराने के लिए कितनी की बोली लगा रहे हो तुम। और हां, इतना जरूर ध्‍यान रखना कि इटावा मेरी ससुराल है चचिचा-ससुर जी। कुमार सौवीर के फेसबुक वॉल से


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