श्रीप्रकाश दीक्षित
एक इंटरव्यू मे ललित मोदी ने फरमाया कि सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल 20 साल से उनके अटार्नी हैं और उनकी बेटी बांसुरी चार साल से उनकी वकील है और दोनों ने इसके एवज़ कोई फीस नहीं ली, मतलब सब फोकट मे..?। यह बात गले तो नहीं उतरती, पर चलो मान लेते हैं..! उधर मध्यप्रदेश सरकार ने कौशल स्वराज को पाँच साल से और बांसुरी स्वराज को दो साल से दिल्ली मे अपना वकील तैनात कर रखा है, यहाँ वे अपनी सेवाएँ मुफ्त मे क्यों नहीं दे रहे हैं..?
बताते चलें कि ग्यारह साल पहले चुनाव के समय जब सुषमा जी को लोकसभा की कोई सुरक्षित सीट नहीं मिल रही थी तब मध्यप्रदेश की सबसे सुरक्षित विदिशा सीट उन्हें नजर कर दी गई थी। यह सीट सौ प्रतिशत कामयाबी वाली मानी जाती है पर लगता है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इतने से ही संतुष्ट नहीं थे। नतीजतन सुषमा जी को वाकओवर दिलाने के लिए सुनियोजित तरीके से मुख्य प्रतिद्व्ंदी काँग्रेस प्रत्याशी को ही चुनावी मैदान से बाहर करा दिया गया..?
पिछला चुनाव भी सुषमा जी यहीं से जीती हैं। यह वही सीट है जहां से कभी स्वर्गीय रामनाथ गोयनका जनसंघ के टिकट पर जीत चुके हैं। लाख टके का सवाल है की जब करोड़ों-अरबों से खेलने वाले बदनाम ललित मोदी की पैरवी सुषमा जी के पति और पुत्री फोकट मे कर सकते हैं तो उन्हे शरण देने वाले मध्यप्रदेश से फीस वसूली क्यों.?
जानकारी के लिए बताते चलें की तब के महंगे वकील और अब जज बन चुके माननीय ललितजी डंपर मामले मे शिवराजजी की पैरवी कर रहे थे तब बांसुरी स्वराज उनकी सहयोगी थीं..! यह जानना भी दिलचस्प होगा की कुछ ही दिनों पहले मध्यप्रदेश सरकार ने केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के शहजादे को भी दिल्ली में अपना वकील नियुक्त किया था। मीडिया में खिंचाई होने पर यह आदेश वापस ले लिया गया था।
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