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हिंदी की विभूतियों का इससे बड़ा अपमान क्या होगा?

खरी-खरी            Sep 10, 2015


ओम थानवी भोपाल पहुँच कर देखा,हवाई अड्डे से शहर तक चप्पे-चप्पे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तसवीरों वाले विशाल पोस्टर लगे हैं, खम्भों पर भी मोदीजी के पोस्टर हैं। इनकी तादाद सैकड़ों में होगी। यह विश्व हिंदी सम्मलेन हो रहा है या भाजपा का कोई अधिवेशन? अधिकांश पोस्टर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से हैं - शहर में मोदीजी के स्वागत वाले। अनेक में चौहान की अपनी छवि भी अंकित है। आयोजन की धुरी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज एक भी पोस्टर में मौजूद नहीं हैं। उनका स्वागत क्यों नहीं? दरअसल स्वागत होना चाहिए संभागी हिंदी सेवियों का, जिनमें अनेक विदेश से भी आए हैं। उनके सम्मान की इबारत ही दुर्लभ है, कम से कम अभी जो शृंखला नमूदार हुई उनमें तो। खम्भों पर तुलसी, कबीर, प्रेमचंद, मैथिलीशरण गुप्त, माखनलाल चतुर्वेदी आदि अनेकानेक विभूतियों के पोस्टर जरूर हैं, लेकिन एक भी विभूति का पोस्टर नरेंद्र मोदी के कद का नहीं है। हिंदी सम्मलेन के नाम पर हिंदी की विभूतियों का इससे बड़ा अपमान क्या होगा? मैं खुले दिमाग से सम्मलेन में आया हूँ, पर राज्य सरकार द्वारा हिंदी सम्मेलन का यह मोदीकरण शर्मनाक है।


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