ममता मल्हार।
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी। देखा जाए तो बात कुछ भी नहीं हुई अगर नेता नगरी की मानें तो। मगर गौर किया जाए तो कुछ ऐसा हो गया जिसकी कल्पना भी कम से कम विधानसभा जैसे संसदीय स्थान पर होने की आप कल्पना भी नहीं कर सकते।
मध्यप्रदेश विधानसभा में कल 2 मार्च को कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के निलंबन को लेकर आज 3 मार्च को जैसे कि आसार थे कि सदन का माहौल हंगामाखेज ही रहेगा।
हुआ भी वही लेकिन कल्पना के विपरीत आज सदन में विधानसभा की नियम पुस्तिका एक तरफ से हाथ से स्लिप हो गई बीच में आए कर्मचारी को हटाते हुए (विधानसभा की लिखित कार्यवाही के अनुसार)।
तो उधर सामने से आरोप लगाया गया कि किताब फेंकी गई। बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान का अपमान किया गया।
थोड़ी देर में अंबेडकर की दुहाई देने वालों ने खुद ही विधानसभा प्रक्रिया तथा कार्यसंचालन संबंधी नियम पुस्तिका फाड़ दी गई और उसके पन्ने लहराकर फेंक दिए गए। (विधानसभा की लिखित कार्यवाही के अनुसार)।
दरअसल आज जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हमने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिया है उस पर निर्णय दिया जाए।
इस पर अध्यक्ष ने जवाब दिया कि पहले प्रश्नकाल हो जाए इस दौरान ससंदीय कार्यमंत्री ने कहा कि पहले हमारी सुन लें।
इसी तरह उत्तर प्रतिउत्तर के शोर-शराबे के बीच विपक्ष के लगाए गए अनुसार संसदीय कार्यमंत्री ने विधानसभा की नियम-प्रक्रिया पुस्तिका को उनकी तरफ फेंका।
विपक्ष द्वारा संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा के निलंबन की मांग की जाने लगी। विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए आसंदी तक पहुंच गए।
कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को मारने के लिए संसदीय कार्यमंत्री ने किताब फेंकी थी। अत:उन्हें निलंबित किया जाए। इस पर मंत्री का जवाब आया कि मैंने बीच में चपरासी आ रहा था मैंने उसे हटा रहा था कि किताब मेरे हाथ से छूट गई। मैं इसके लिए खेद व्यक्त करता हूं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इन्होंने इतना घृणित कार्य किया है किताब सरकती नहीं है। आज तक के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। मैं संसदीय कार्यमंत्री को निलंबित करने की मांग करता हूं।
इस दौरान विपक्षी सदस्य गर्भगृह तक पहुंचकर नारेबाजी करने लगे थे।
यह भी कहा गया कि यह डॉ अंबेउकर का अपमान है। नारेबाजी के दौरान ही कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा नियम कार्यसंचालन संबंधी पुस्तिका फाड़कर उसके पन्ने हवा में उछाल दिए जो कि सदन के बीचोंबीच लगी रिपोर्टिग टेबल तक पहुंचे।
इस पर मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि देखिए अंबेडकरजी का कैसा अपमान कर रहे हैं।
तो कुलमिलाकर आज मध्यप्रदेश विधानसभा में जो भी हुआ वह ऐतिहासिक तो था लेकिन लोकतंत्र और संसदीय परंपराओं की गरिमा को खंडित करने वाला भी था।
उन्होंने माफी मांग ली इन्होंने किताब फाड़कर पन्ने फेंककर भी माफी नहीं मांगी। अब माफी मांगें या न मांगें सदन की गरिमा का जितना नुकसान होना था हो गया। इसके लिए विधानसभा क्या कार्यवाही करती है इसके लिए अभी इंतजार करना होगा।
शुक्रवार को 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
समाचार विधानसभा की लिखित कार्यवाही के आधार बनाया गया है।
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