श्याम त्यागी।
बिहार में हो रही बच्चों की मौत पर बीजेपी का ये नेता कह रहा है कि ये एक प्राकृतिक आपदा है। नेताजी आपने बिल्कुल ठीक कहा, आप जैसे लोगों के दिमाग पर अगर प्राकृतिक आपदाओं का असर नहीं होता तो आज आपकी सोचने समझने की स्थिति बेहतर होती। लेकिन आप खुद किसी प्राकृतिक आपदा के शिकार हैं इसलिए सरकार की नाकामी को छिपाने के तर्क आपके पास नहीं हैं।
मैं समझता हूं कि बीमारियां आती हैं और फैल जाती हैं। एक दूसरे से तीसरे को लग जाती हैं। कोई भी सरकार इसे फैलने से एकदम नहीं रोक सकती। लेकिन सरकार व्यवस्थाओं को तो ठीक कर सकती है। डॉक्टर और दवाइयां तो उपलब्ध करा सकती है। कहीं बच्चे ऑक्सीजन की कमी से मर रहे हैं। कहीं डॉक्टर की कमी की वजह से मर रहे हैं। ना मरीजों को लिए बेड उपलब्ध हैं ना ही आईसीयू। बात ये भी है कि सरकार जब तक अच्छा सिस्टम नहीं देगी तो डॉक्टर ही क्या करे?
दरअसल यहां गलती सिर्फ इतनी सी नहीं है। डॉक्टर और नेताओं ने मिलकर इस सिस्टम को इतना महंगा बना दिया है कि ये देश कभी भी डॉक्टरों की कमी को पूरा नहीं कर पायेगा। इस देश में बीकॉम, बीए, बीएससी, बीटेक, बीबीए, एमबीए वाले लाखों लोग मिल जाएंगे, उसमें भी ज्यादातर बेरोजगार। लेकिन एमबीबीएस और पढ़े लिखे डॉक्टर कम मिलेंगे।
दरअसल डॉक्टरी की पढ़ाई और पेशे को इस सिस्टम ने महँगा ही इतना बना दिया है। डॉक्टरी पढ़ेगा नहीं इंडिया तो बढ़ेगा कैसे इंडिया। ना ये पढ़ाई आम जन मानस की पहुंच तक पहुंचेगी और ना ही कभी डॉक्टरों की कमी पूरी होगी।
आप खुद ही देखिए, एक डॉक्टर 10 अस्पतालों में विजिट करता है। 2-4 में तो परमानेंट नौकरी भी करता है। और खुद का क्लिनिक भी खोलकर रखता है, लेकिन आपने कभी दूसरे पेशे में सुना है कि एक कम्पनी में काम करने वाला कोई मैनेजर 2-3 और कम्पनियों में भी साथ—साथ नौकरी करता हो। ये सिर्फ डॉक्टरी पेशे में ही मुमकिन है। और यहीं से इस धंधे को महंगा बनाने की शुरुआत होती है।
डिमांड ज्यादा है सप्लाई कम। इसलिए धन्ना सेठ अपने हिसाब से धनिये का दाम तय करता है। डॉक्टर आसमान से प्रकट नहीं होंगे, हमारे तुम्हारे बीच से ही निकलेंगे लेकिन वो पढ़ाई हमारे तुम्हारे परिवारों की पहुंच में तो हो। बड़े बड़े व्यापारियों और धन्ना सेठों के लड़के लाखों की डोनेशन देकर और फीस देकर पढ़ लेते हैं। डॉक्टर बन जाते हैं। बाकी पूरा देश लगा है मैनेजर और इंजीनियर बनने में।
अरे बच्चे ही नहीं बचेंगे तो ये मैनेजरी किस काम की। देश का भविष्य अस्पतालों में ऑक्सीजन और डॉक्टरों की कमी की वजह से अगर दम तोड़ देगा तो फिर हर साल लाखों इंजीनियर पैदा करने से क्या फायदा? कुछ करना ही है तो डॉक्टरी पेशे को सस्ता करो, इसकी पढ़ाई सस्ती करो। सप्लाई बढ़ेगी तो डिमांड खुद ब खुद कम हो जाएगी। फिर कम से कम हमें डॉक्टरों की कमी का रोना तो नहीं रोना पड़ेगा।
बाकी टीवी9 भारतवर्ष के कंसल्टिंग एडिटर, वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम सर का धन्यवाद की जब सारा देश हिंदुस्तान पाकिस्तान के मैच की खुमारी में मदहौश है ऐसे समय में आप उन परिवारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं जिन परिवारों के बीच से उनके सबसे प्यारे बच्चे उन्हें एक एक कर छोडकर जा रहे हैं।
Comments