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सवाल आप से भी है, सिर्फ फीस बराबर करने से कुछ नहीं होता

खरी-खरी            Oct 16, 2025


ओम प्रकाश।

भारत और श्रीलंका में खेले जा रहे वुमेन वर्ल्ड कप में एक खेल पत्रकार होने के नाते आपने अब तक क्या-क्या नोटिस किया? क्या कभी यह बात आपके दिमाग में आई कि भारत के कितने सीनियर कॉमेंटेटर्स महिला विश्व कप में कॉमेंट्री कर रहे हैं?

रवि शास्त्री, सुनील गावस्कर और हर्ष भोगले की आवाज सुनाई दी क्या? एशिया कप के बाद हाल ही में वेस्टइंडीज के खिलाफ समाप्त हुई डेड टेस्ट सीरीज में रवि शास्त्री टॉस करा रहे थे. लेकिन देश में चल रहे वुमेन वर्ल्ड कप में कॉमेंट्री करने का समय नहीं था.

कुछ ऐसा ही रवैया सुनील गावस्कर और हर्ष भोगले का रहा. अपने ही देश में हमारी महिला टीम वर्ल्ड कप खेले और टॉस कराने इंग्लैंड के नासिर हुसैन आते हैं.

आपने कितने महिला और पुरुष खेल पत्रकारों को सोशल मीडिया पर वुमेन वर्ल्ड कप के बारे में पोस्ट करते देखा है. पुरुष क्रिकेट के लिए तो महिला खेल पत्रकार खूब बातें करती और लिखती भी हैं, लेकिन अपनी ही कौम के प्रति चुप्पी साध लेती हैं. बोरिया मजूमदार पुरुष क्रिकेट के हर मुद्दे पर उछलते रहते हैं.

महिला विश्व कप पर अब तक उन्होंने चार पोस्ट लिखी हैं. इन चार में तीन पोस्ट उनकी पाकिस्तान की महिला टीम पर हैं और एक में वह हरमनप्रीत कौर और अमोल मजूमदार की कमियां गिना रहे हैं.

क्रिकेट पत्रकार विमल कुमार अपने को फैंस का रिपोर्टर कहते हैं. हां वह फैंस के रिपोर्टर हैं, लेकिन पुरुष क्रिकेटर्स के फैंस के. आईसीसी वुमेन क्रिकेट वर्ल्ड कप को लेकर उन्होंने अब एक भी पोस्ट नहीं लिखी है. माना कि वह बड़े क्रिकेट पत्रकार हैं बगैर पैसे लिए कुछ नहीं लिखते, लेकिन महिला विश्व कप को लेकर इंडियन वुमेन टीम पर अपने विचार सोशल मीडिया पर तो लिख सकते हैं. पता चला है कि विमल कुमार भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जाने वाली व्हाइट बॉल सीरीज कवर करने पर्थ पहुंच गए हैं. मतलब जहां मोटी कमाई होगी वहीं जाएंगे विमल कुमार.

नवजोत सिंह सिद्धू, हरभजन सिंह और मोहम्मद कैफ ये सभी क्रिकेट के हर मुद्दे पर अपनी राय देते हैं. लेकिन इन तीनों पूर्व क्रिकेटर्स ने आईसीसी वुमेन वर्ल्ड कप पर चूं तक नहीं की. युवराज सिंह ने 30 सितंबर को भारतीय महिला टीम के लिए आखिरी बार ट्वीट किया था. सचिन को महिला विश्व कप और भारतीय महिला क्रिकेट टीम से कुछ लेना देना नहीं है. उन्होंने फेसबुक और एक्स पर विश्व कप को लेकर कोई पोस्ट शेयर नहीं की है.

कहने का मतलब यह है कि पुरुष क्रिकेट के आगे महिला क्रिकेट कुछ भी नहीं है. पैसा बोलता है. महिला वर्ल्ड कप चल यहा है लेकिन मेन स्ट्रीम मीडिया में ज्यादा कवरेज नहीं है. जो क्रिकेट पत्रकार कभी-कभार महिला क्रिकेट पर बात करते हैं वह सिर्फ दिखावा है. केवल महिला क्रिकेटर्स की मैच फीस पुरुषों के बराबर कर देने से सब कुछ समान नहीं हो जाता. मेरा मानना है महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप को भी पुरुष क्रिकेटर्स के वर्ल्ड कप जितनी तवज्जो मिलनी चाहिए.

लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं

 


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