शैलेश शर्मा।
पंजाब के मुख्यमंत्री ने राज्य के पूर्व विधायकों/पूर्व सांसदों के पेंशन के नियम को संशोधित किया है अब नए नियमों के अनुसार किसी भी विधायक/सांसद को अब सिर्फ एक कार्यकाल की पेंशन मिलेगी,चाहे वह कितनी भी बार विधायक या सांसद निर्वाचित रहा हो।
अब किसी भी विधायक / सांसद को महज़ ₹75 हजार रुपये पेंशन मिलेगी चाहे वो कितनी भी बार विधायक/सांसद रहा हो।
इस नियम का सबसे अधिक असर कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के ऊपर होगा क्योंकि अभी तक राज्य में मुख्यत: इन्ही दलों की सरकार रही है।
अभी तक होता ये था तीन-चार अवधि के विधायक लगभग ढाई-तीन-साढ़े तीन,चार लाख रुपये पेंशन पाते थे और अगर यही विधायक सांसद भी रहे हों तो यह राशि और भी बढ़ जाती थी।सरकार का कहना है कि इस नियम से सरकार को 80 करोड़ रुपये की बचत होगी।
हालांकि आम जन का मानना है कि अभी भी ₹75 हजार रुपये प्रति माह की राशि अधिक और अनावश्यक है क्योंकि जनसेवा के बदले में इतनी पेंशन लेना जनता के साथ अन्याय है।
कुछ लोगों का कहना कि यदि कोई पूर्व विधायक/पूर्व सांसद यदि "गरीबी रेखा"के नीचे आते हों तो बेशक उन्हें पेंशन दे दी जाए लेकिन फिर भी ₹75 हजार तो बहुत ज़्यादा है।
मैं तो देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से अनुरोध करूंगा कि जिस प्रकार उन्होंने देश की जनता से अनुरोध किया था कि "सक्षम "व्यक्ति LPG की सब्सिडी छोड़े।और उनके आव्हान पर सैकड़ो लोगों ने सब्सिडी छोड़ दी और जिन्होंने प्यार से नहीं छोड़ी तो सरकार ने ज़बरदस्ती उनकी सब्सिडी बंद कर दी।
यदि आम जनता के साथ ये किया जा सकता है तो पूर्व विधायकों/पूर्व सांसदों को क्यों नही मजबूर किया जा सकता? सोचिये जब अकेले पंजाब में ₹80 करोड़ रुपये की बचत होगी तो संपूर्ण भारत में करोड़ों रूपये की बचत होगी।
इस बचत से देश में गरीबो के लिए उनके जीवन यापन के उद्धार के लिए कई योजनाएं प्रारंभ की जा सकती है। किसी सामाजिक संगठन को इस संबध में एक व्यापक हस्ताक्षर अभियान छेड़ा जाना चाहिए और इसकी शुरुआत उन्ही पूर्व विधायकों/पूर्व सांसदों से की जानी चाहिए।
उम्मीद है कि लाखों रुपयों की महंगी गाड़ियों और लाखों -करोड़ों की संपत्ति के स्वामी ये जनप्रतिनिधि मजबूरी में,लोकलज्जा वश ये पेंशन त्यागने पर मजबूर होंगे लेकिन यक्ष प्रश्न ये है कि "बिल्ली के गले में घण्टी कौन बांधे?"
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