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भूखी भटकती गायों के लिए वरदान साबित होगी गौ-ग्रास पहल

खास खबर            Mar 29, 2022


मल्हार मीडिया भोपाल।
सनातन संस्कृति में घर में बनने वाली पहली रोटी खिलाने की हमारी वर्षों पुरानी परपंरा है।

इसी परंपरा को और व्यापक स्वरूप देने और बेसहारा गौमाता को पर्याप्त आहार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश के खरगोन और नरसिंहपुर जिले की नगरपालिका परिषदों ने गौ-ग्रास वाहन शुरू कर एक सराहनीय एवं अनुकरणीय पहल की है।

यह पहल दिनभर इधर से उधर भटकती भूखी गायों के लिए वरदान साबित हो सकती है।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने इस नवाचार की सराहना करते हुए कहा है कि अन्य नगरीय निकायों को भी इसका अनुसरण करना चाहिए।

गौरतलब है कि शहरों में लोग घर से निकलने वाले गीले और सूखे कचरे को तो कचरा गाड़ी में डाल रहे हैं, लेकिन बची हुई रोटी एवं अन्य खाद्य सामग्री कचरा वाहन में डालने में संकोच करते हैं।

बचे हुए भोजन को सामान्यत: घर के बाहर रख देते हैं, ताकि यदि कोई भी जानवर आये तो खा ले। कई बार वह भोजन बाहर ही पड़ा रहता है और उपयोग में नहीं आता।

गौ-ग्रास वाहन चलने से लोगों को जहाँ अपने घर का बचा हुआ भोजन उपयुक्त स्थान पर देने की सुविधा मिली, वहीं बेसहारा गौमाता को पर्याप्त भोजन भी मिलने लगा है।

गौ-ग्रास वाहन प्रतिदिन सुबह-सुबह घरों से तथा सब्जी मंडी, जूस सेंटर आदि स्थानों से बची हुई खाद्य सामग्री एकत्रित करते हैं। इस सामग्री को निश्चित स्थान पर डालकर बेसहारा घूमने वाले मवेशियों को वहाँ लाकर खिलाया जाता है।

गौ-ग्रास वाहन से मुख्य रूप से तीन लाभ हो रहे हैं। पहला तो यह कि कचरे के साथ ही बचा भोजन भी एकत्रित होने लगा, इससे स्वच्छता बढ़ी है।

दूसरा बेसहारा पशुओं को पर्याप्त भोजन मिलने लगा और तीसरा शहर में घूमने वाले बेसहारा पशु अब निर्धारित स्थान पर एकत्रित हो रहे हैं, जिससे यातायात व्यवस्था भी सुधारी है।

नगरपालिका परिषद करेली द्वारा गौ-ग्रास वाहन के लिए अलग से कोई व्यय नहीं किया गया है। नगरपालिका में रखे कबाड़ वाहनों की ही मरम्मत कर उन्हें उपयोगी बनाया गया है।

इस कार्य में क्षेत्रीय सांसद, विधायक और अन्य जन-प्रतिनिधियों ने भी महती भूमिका निभायी है।

 

 

 

 



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