मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्यवाही लाइव दिखाने की मांग कांग्रेस पार्टी लगातार कर रही है। हर सत्र से पहले नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार सरकार से यह मांग उठाते हैं। बावजूद इसके अभी तक कार्यवाही को लाइव टेलीकास्ट करने का निर्णय नहीं लिया गया।
तो वहीं दूसरी तरफ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने विधानसभा की कार्यवाही लाइव स्ट्रीमिंग न करने को लेकर सरकार को नोटिस जारी किया है। जिसको लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने पूछा है कि डिजिटल इंडिया में मप्र विधानसभा ऑफलाइन क्यों?
दरअसल यह नोटिस कांग्रेस विधायक सचिन यादव की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने दिया है।
डिजिटल इंडिया में मप्र विधानसभा ऑफलाइन क्यों?
विधानसभा की कार्यवाही लाइव नहीं करने को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सवाल उठाते हुए कहा कि हर साल 21 करोड़ रुपए सिर्फ विधानसभा की कार्यवाही दिखाने को मिलते हैं। बावजूद इसके सरकार लाइव प्रसारण नहीं करवाती। देश की सभी विधानसभाएं नेशनल ई-विधान ऐप्लिकेशन के तहत डिजिटल हो रही हैं। लेकिन डिजिटल इंडिया में MP विधानसभा ऑफलाइन क्यों?
विधानसभा जनता का मंच
उमंग सिंघार ने आगे कहा कि सरकार को डर है कि अगर कार्यवाही जनता ने देख ली, तो उनके असली चेहरे बेनकाब हो जाएंगे? जवाबदेही से भागना ही इस सरकार की कार्यशैली बन चुकी है। विधानसभा जनता का मंच है, न कि सत्ता की गोपनीय बैठक! आखिर सरकार विधानसभा की कार्यवाही को जनता की नज़रों से दूर क्यों रखना चाहती है? जवाब दीजिए। सभी जगह कार्यवाहियों का सीधा प्रसारण हो रहा है... लेकिन मध्यप्रदेश अब तक अंधेरे में क्यों है?
पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी शर्मा ने कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग करना चाहिए। अलग-अलग विधानसभा में किस तरह से ई विधानसभा पर काम होता है। जनता को पता होना चाहिए कि विधानसभा में क्या हो रहा है। कहा कि- केरल में लाइव स्ट्रीमिंग होती है, विधायकों की शिकायत पर सीधे विभाग में मामला जाता है। केरल की तर्ज पर एमपी में ई विधानसभा बने और अगले विधानसभा सेशन से ये व्यवस्था लागू की जाए।
अगली सुनवाई 16 जून को
गौरतलब हे कि हाई कोर्ट में याचिका अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल और जयेश गुरनानी ने दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार ने नोटिस जारी कर प्रदेश सरकार को 4 सप्ताह के अंदर जबाव देने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 16 जून को होगी। बता दें कि ई-विधान की कार्यवाही फ़िलहाल गुजरात, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में की जा रही है।
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