मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि कोई भी अधिकारी टूर प्रोग्राम और फील्ड विजिट की जानकारी को RTI के तहत देने से मना नहीं कर सकता है। इस फैसले के साथ ही सिंह ने ये जानकारी रोकने पर डॉक्टर ओपी गौर उपसंचालक पशुपालन विभाग विदिशा के ऊपर ₹25000 का जुर्माना लगा दिया है।
विदिशा के श्री दीपक मिश्रा ने सूचना आयोग के पास अपनी शिकायत दर्ज की कि उनको RTI के तहत विदिशा के उपसंचालक पशुपालन विभाग विदिशा से मांगी गई जानकारी नहीं दी जा रही है।
मिश्रा ने RTI फरवरी 2022 में लगाई थी और RTI कानून के तहत ये जानकारी उन्हें RTI आवेदन के 30 दिन के भीतर मिल जानी चाहिए थी।
मिश्रा ने उपसंचालक पशुपालन विभाग की टूर प्रोग्राम डेली डायरी और फील्ड विजिट की जानकारी जनवरी 2018 से लेकर फरवरी 2022 तक की मांगी थी। मिश्रा ने आरोप लगाया कि डॉ गौर अपनी जानकारी को छुपाना चाहते हैं इसीलिए जानबूझकर RTI में जानकारी नहीं दे रहे हैं।
प्रकरण की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने ओपन से जुड़े सभी दस्तावेजों को सूचना आयोग कार्यालय में तलब किया। दस्तावेजों की जांच के बाद सिंह ने उपसंचालक गौर को सूचना का अधिनियम के उल्लंघन का दोषी पाया।
गौर ने अगस्त 2022 में पत्र लिखकर आवेदक से जानकारी उपलब्ध कराने के लिए राशि की मांग की। सिंह ने कहा कि अधिनियम के तहत 30 दिन की अवधि बीत जाने के बाद शुल्क की मांग अवैध है क्योंकि अधिनियम की धारा 7 (6) के तहत आरटीआई आवेदन नि:शुल्क जानकारी प्राप्त करने के हकदार हैं।
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में डॉ गौर को अपीलीय प्रक्रिया को बाधित करने का भी दोषी पाया है। RTI आवेदक दीपक मिश्रा ने जब RTI में जानकारी नहीं मिली तो प्रथम अपील डॉ ओपी गौर के पास भेज दी थी क्योंकि उनके पास यह जानकारी नहीं थी कि प्रथम अपीलीय अधिकारी कौन है।
लेकिन डॉ गौर ने यह प्रथम अपील RTI आवेदक को वापस लौटा दी। सिंह कहां की डॉ गौर की ये कार्रवाई अवैध है क्योंकि अधिनियम की धारा 5 (2) के तहत कोई भी अधिकारी प्रथम अपील को वापस नहीं लौटा सकता है बल्कि अपील को संबंधित अधिकारी को प्रेषित करने के जवाबदेही उनकी बनती है।
वही डॉ गौर ने RTI कानून के तहत आवेदक को प्रथम अपील अधिकारी की जानकारी भी उपलब्ध नहीं कराई थी। सिंह ने कहा किससे स्पष्ट है कि डॉ गौर ने अपीलीय प्रक्रिया को जानबूझकर बाधित करते हुए प्रथम अपील की सुनवाई से आरटीआई आवेदक को वंचित रखा।
सुनवाई के दौरान डॉ गौर ने अपने बचाव में यह कहा आवेदक उनके पूर्व से ही संपर्क में थे लेकिन उन्होंने इससे पहले कभी जानकारी नहीं मिलने के संबंध में कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई। इस बात पर सूचना आयुक्त सिंह ने डॉ गौर को सवालों के घेरे में ले लिया सिंह ने कहा कि आवेदक ने आपत्ति के तौर पर प्रथम अपील भेजी थी वहीं कानून के अनुरूप 30 दिन में ही जानकारी देनी थी।
अगर अधिकारी आवेदक के भी संपर्क में थे तो यह प्रकरण भी उनके संज्ञान में रहा होगा तो अधिकारी ने किस आधार पर जानकारी को रोके रखा।
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने यह भी स्पष्ट किया शासन में कार्यरत अधिकारी अपने टूर विजिट और फील्ड रिपोर्ट की जानकारी देने से मना नहीं कर सकते हैं। इस तरह की जानकारी सामने देने से अधिकारियों के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही की व्यवस्था सुनिश्चित होगी।
सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि टूर विजिट और फील्ड रिपोर्ट शासन द्वारा तय नियम और मापदंड के अनुरूप ही तैयार की जाती है और यह शासकीय कार्यालय में रिकॉर्ड का हिस्सा है जो कि RTI के तहत देय है। सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि शासन द्वारा खर्च किया जा रहा है पैसा जनता का है और जनता को यह जानने का अधिकार है कि शासन किस प्रकार से किस मद से क्या खर्च कर रहा है।
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