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मोहन मंत्रिमंडल में शामिल हुए रामनिवास रावत, इस्तीफे को लेकर गफलत

खास खबर            Jul 08, 2024


मल्हार मीडिया भोपाल।

मध्यप्रदेश कांग्रेस से भाजपा में आए विधायक रामनिवास रावत ने सोमवार 8 जुलाई की सुबह कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली। अब मोहन कैबीनेट मुख्यमंत्री समेत 31 मंत्री हो गए हैं। राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने विधायक रामेश्वर रावत को मंत्री पद की शपथ दिलाई।

राजभवन में हुए इस संक्षिप्त कार्यक्रम में मुख्यमंत्री समेत राज्य के कई मंत्री मौजूद रहे। पहले उन्होंने राज्य के मंत्री की जगह राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इसके बाद मामला उठा तो कुछ देर बाद उन्हें दोबारा शपथ दिलाई गई। इस बार उन्होंने राज्य के मंत्री के तौर पर शपथ ली। 

कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष न बनाए जाने से नाराज चल रहे श्योपुर जिले की विजयपुर सीट से विधायक रामनिवास रावत ने लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा में आमद दी थी। इससे ग्वालियर-चंबल अंचल में भाजपा की स्थिति मजबूत हुई है। रावत के कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफे को लेकर देर शाम तक गफलत की स्थिति बनी रही। रावत को छह महीने के भीतर विधायक बनना होगा वरना उनका मंत्री पद स्वतः ही खत्म हो जाएगा। कैबिनेट विस्तार के बाद मध्य प्रदेश में कुल मंत्रियों की संख्या 31 हो गई है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि मंत्रिमंडल में एक नए सदस्य का आगमन हुआ है। कैबिनेट मंत्री के नाते रामनिवास रावत के अनुभव का लाभ मिलेगा। उनके अनुभव का सरकार और क्षेत्र की जनता को लाभ मिलेगा। पिछड़े और विकास की संभावनाओं वाले क्षेत्र से प्रतिनिधित्व मिल रहा है।

 रावत की जुबान फिसली

रावत को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेनी थी लेकिन उनकी जुबान फिसल गई। उन्होंने सुबह 9 बजे राज्य के मंत्री के बजाय कह दिया कि "मैं मध्य प्रदेश के राज्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूंगा।" इससे गफलत हुई कि वह राज्यमंत्री बनाए गए हैं। हालांकि, बाद में स्पष्ट हुआ कि वे कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। उन्हें आधे घंटे में दोबारा शपथ लेनी पड़ी। तब जाकर शपथ प्रक्रिया पूरी हुई।

इस्तीफे को लेकर गफलत

विजयपुर से कांग्रेस विधायक रहे रामनिवास रावत 30 अप्रैल को भाजपा की सदस्यता ली थी। इसके बाद भी उन्होंने विधायकी से इस्तीफा नहीं दिया था। बजट सत्र में भी वे कांग्रेस विधायक की हैसियत से विधानसभा में मौजूद रहे। सूत्रों का कहना है कि वह मंत्री पद मिलने तक विधायकी छोड़ने को तैयार नहीं थे। कांग्रेस ने भी इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की। कांग्रेस से राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने सोशल मीडिया पर लिखा कि "राम निवास जी मैं आपका आदर करता हूं। किस पार्टी के सदस्य रहना चाहते है, यह आपका निजी फैसला है।

उचित होता कि आप कांग्रेस से निर्वाचित विधायक पद से पहले इस्तीफा देते और फिर मंत्री बनते।रावत जी, आप वरिष्ठ विधायक है। राजनीतिक शुचिता और संविधान के 10वें शेड्यूल का सम्मान करें।" इसके जवाब में रावत ने लिखा कि आपकी भावनाओं का में हृदय से सम्मान करता हूं। आपके सुझाव का भी सम्मान करता हूं। मैं 5 जुलाई को ही विधानसभा सदस्यता से अपना त्याग पत्र विधानसभा सचिवालय भेज चुका हूं। मेरे भाजपा में रहने पर भी आपका स्नेह सदैव बना रहेगा।" सुबह से इस्तीफे को लेकर उहापोह की स्थिति बनी रही। फिर विधानसभा सूत्रों ने कहा कि रावत ने वॉट्सएप पर इस्तीफा भेजा था, उसे स्वीकार कर लिया गया है।

कौन हैं रामनिवास रावत

श्योपुर की विजयपुर सीट से पूर्व विधायक रामनिवास रावत छह बार के विधायक हैं। वह कांग्रेस के उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष बनाने से नाराज थे। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली थी। रावत पहली बार 1990 में विधायक बने थे। वह 1993 में दिग्विजय सिंह कैबिनेट का हिस्सा रहे।

श्री रावत को दो बार विधानसभा चुनाव में हार का भी सामना करना पड़ा। 64 वर्षीय रावत ने 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। उनके परिवार में पत्नी उमा रावत के अलावा दो बेटे और दो बेटियां है, उनका पेशा वकालत है। उन्होंने बीएससी, एमए, एलएलबी की पढ़ाई की है।

ग्वालियर-चंबल में भाजपा की स्थिति होगी मजबूत

छह बार के विधायक रामनिवास रावत को मंत्री बनाने से भाजपा ग्वालियर-चंबल में मजबूत होगी। रावत ओबीसी समुदाय का बड़ा चेहरा माने जाते हैं।

मंत्री बनने से रावत का स्वाभाविक रूप से कद बढ़ेगा। कांग्रेस के तेजतर्रार नेताओं में उनकी गिनती होती है। इसका फायदा भाजपा को पूरे अंचल में मिलेगा।

श्री रावत ने 30 अप्रैल को पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ली थी। रविवार को रावत ने भागवत कथा के लिए कलश यात्रा का आयोजन किया था।

 



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