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प्रतिक्रिया 17 साल पहले का एतिहासिक महायज्ञ और रूद्राक्ष वितरण कार्यक्रम

खास खबर            Mar 01, 2022


मल्हार मीडिया ब्यूरो सीहोर।

रूद्राक्ष वितरण कार्यक्रम वाले मुद्दे पर सबके आक्षेप आरोप अपनी जगह ठीक हैं। पर एक सवाल जो मेरे मन में आ रहा है कि इने बड़े आयोजन को करने के लिए क्या स्थानीय स्तर पर कोई समिति नहीं बनाई गई थी?

क्या स्थानीय लोगों को विश्वास में नहीं लिया गया था?

आमतौर पर जिस भी क्षेत्र में ऐसे आयोजन होते हैं वहां के कुछ सर्वमान्य लोगों से बात की जाती है। उन्हें भरोसे में लिया जाता है।

विभिन्न समितियां बनाई जाती हैं। यह वाकई इतनी ही सीधी बात है जितनी दिखाई बताई जा रही है?  या मासूम जनता की आस्थाओं से खिलवाड़ करके कोई और ही खेल खेलने की तैयारी थी।

मल्हार मीडिया द्वारा उठाए गए सवालों पर एक पाठक की प्रतिक्रिया इस प्रकार है:

यह आयोजन सरकारी नहीं था, क्यों उसे सरकारी चोला पहनाया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव डाले जा रहे हैं?

अदने से, औकात रहित नेता जिला प्रशासन पर ऐसे लदाये जा रहे हैं जैसे यह उनके बाग का बगीचा ।

अरे प्रशासनिक स्तर पर बनते कोशिश जो हुआ , उन्होंने भरपूर किया, राजनीति और धर्म का चश्मा उतारो फिर तस्वीर आइने में उम्दा दिखेगी।

मेरी जानकारी अनुसार जिला मुख्यालय सीहोर से 15 किलोमीटर दूर तहसील मुख्यालय इछावर में सन् 2005 में  एक "सीता-राम नाम" महायज्ञ" हुआ था जहां प्रतिदिन तकरीबन 50 हजार लोग 24 घंटे बदस्तूर पाकशाला प्रांगण में दिखाई देते थे।

इस महायज्ञ की तैयारी नेपाली बाबा ने खुद अपने बलबूते पर की थी।

वाहनों की पार्किंग , डायवर्सन रोड खुदने समिति के माध्यम से बनवाए थे।

समिति में व्यापारी,कांग्रेस-भाजपा नेता, समाजसेवी, हिंदू संगठन, पत्रकार, बुजुर्ग, महिला संगठन शामिल थे।

यही कारण रहा कि वह महायज्ञ आज भी सीहोर जिले का एतिहासिक है।

9 नवंबर 2005 को यज्ञशाला में लगी आग से एक ही रात में उभर गए थे। वहाँ के नागरिकों ने प्रशासन का मुंह नहीं ताका था।

जानकारी तो यहां तक है कि तत्कालीन राज्यमंत्री करण सिंह वर्मा जो महायज्ञ के मुख्य यजमान हुआ करते थे, कलेक्टर गुलशन बामरा भी उत्तेजित भीड़ के आगे टिक नहीं पाए और भागकर नादान रोड का रास्ता पकड़ लिया।

 



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