मल्हार मीडिया ब्यूरो।
लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को सोमवार 30 सितंबर की देर रात दिल्ली बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया गया था। दिल्ली में बीएनएस की धारा 163 लागू होने के कारण सोनम वांगचुक और उनके साथियों को दिल्ली पुलिस ने देर रात हिरासत में ले लिया और उन्हें राजधानी की विभिन्न जेलों में शिफ्ट कर दिया। दावा है कि उनसे मिलने पहुंचे कई लोगों को भी निराश होकर लौटना पड़ा क्योंकि इस दौरान पुलिस ने लोगों को उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी। लेकिन बड़ा प्रश्न यही है कि सोनम वांगचुक के दिल्ली आने से किसे परेशानी है?
दरअसल, सोनम वांगचुक और उनके साथी लंबे समय से लद्दाख को अलग राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग करते रहे हैं। वे लेह और कारगिल को अलग लोकसभा क्षेत्र बनाने और लद्दाख को अलग प्रशासनिक इकाई बनाने के लिए भी संघर्ष करते रहे हैं। उनका आरोप रहा है कि लद्दाख के युवाओं को सरकारी नौकरियों में भर्ती होने के लिए लंबी प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता रहा है जिसमें देरी होने के कारण लद्दाख के युवाओं की यूपीएससी जैसी प्रतियोगिताओं में बेहतर भागीदारी नहीं रहती है। इसे ध्यान में रखते हुए वे लद्दाख को विशेष प्रशासनिक क्षेत्र का दर्जा देते हुए इसके लिए अलग पब्लिक सर्विस कमीशन बनाये जाने की मांग भी करते रहे हैं।
आदिवासी मामलों के मंत्री, संबंधित विभागों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक से वे लगातार यह अपील करते रहे हैं कि लद्दाख को विशेष क्षेत्र घोषित किया जाए। उनका आरोप रहा है कि जम्मू-कश्मीर का हिस्सा होने के बाद भी लद्दाख हमेशा उपेक्षित रहा क्योंकि विकास का पूरा हिस्सा जम्मू और कश्मीर के हिस्से चला जाता रहा है। उनका आरोप है कि लेकिन अब जम्मू-कश्मीर से अलग होने के बाद भी अभी लद्दाख को उसका अधिकार नहीं मिल रहा है।
सोनम वांगचुक लद्दाख में लगातार बढ़ रही व्यावसायिक गतिविधियों के भी खिलाफ रहे हैं। उनका आरोप रहा है कि इस तरह की गतिविधियों के बढ़ने से पहाड़ों के पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। यहां व्यावसायिक गतिविधियों के बढ़ने से इस क्षेत्र का उपयोग उद्यमी करते हैं, जबकि स्थानीय युवाओं को केवल मजदूरी जैसे काम करने के लिए मिलते हैं।
दरअसल, भाजपा ने स्थानीय समुदायों का समर्थन पाने के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें स्वायत्तता देने का वादा भी किया था। लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो पाया है। इसे देखते हुए सोनम वांगचुक और उसके साथी लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं। इसके पहले वे लंबी भूख हड़ताल कर सरकार पर दबाव बना रहे थे, इस बार लद्दाख से राजघाट तक पैदल मार्च यात्रा निकालकर भी सोनम वांगचुक लद्दाख के मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाने का ही प्रयास कर रहे हैं। फिलहाल, अभी इस मुद्दे पर केंद्र की तरफ से कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया गया है जिससे प्रदर्शनकारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
जिस समय जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं, सोनम वांगचुक की यह पैदल यात्रा सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती थी। माना जा रहा है कि इसलिए उन्हें हिरासत में ले लिया गया है। लेकिन सोनम वांगचुक के हिरासत में लिए जाने के बाद भी विपक्षी दलों ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा है।
आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि यह सरकार की तानाशाही है। राजघाट तक जाना और महात्मा गांधी की समाधि के दर्शन करना हर भारतीय का अधिकार है। उन्होंने कहा है कि दिल्ली किसी एक व्यक्ति की नहीं है और इस पर पूरे देश और हर नागरिक का अधिकार है। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी मारलेना ने सोनम वांगचुक से मुलाकात कर उन्हें हर संभव समर्थन देने का वादा भी किया है। कांग्रेस ने भी सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
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