मल्हार मीडिया डेस्क।
संघ लोक सेवा आयोग सिविल सर्विस परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है. यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में सभी वर्गों के कैंडिडेट्स को समान अवसर उपलब्ध करवाने के लिए रिजर्वेशन पॉलिसी बनाई गई है.
इसके तहत विभिन्न वर्गों के उम्मीदवारों को कास्ट व आय प्रमाण पत्र जमा करने पर कुछ छूट दी जाती है.
महाराष्ट्र की ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर ने भी यूपीएससी फॉर्म में नॉन क्रीमी लेयर ओबीसी होने का जिक्र किया था.
यूपीएससी 2022 बैच की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर चर्चा में हैं. वह महाराष्ट्र कैडर की अधिकारी हैं. उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा 2021 में 841वीं रैंक हासिल की थी उन पर कई आरोप लगाए हैं. उनमें से एक है कि उन्होंने यूपीएससी रिजर्वेशन पॉलिसी का गलत फायदा उठाया.
पूजा खेडकर संपन्न परिवार से ताल्लुक रखती हैं. इसके बावजूद उन्होंने खुद को नॉन क्रीमी लेयर का बताते हुए इस आरक्षण का लाभ उठाकर सरकारी नौकरी हासिल की.
यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा क्वॉलिफाई करने के लिए आईएएस पूजा खेडकर ने दिव्यांगता और नॉन क्रीमी लेयर का सर्टिफिकेट जमा किया था. लेकिन यहां सवाल यह है कि जिस कैंडिडेट के पिता की संपत्ति 40 करोड़ रुपये हो तो क्या उसे ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर में रखा जा सकता है?
आईएएस पूजा खेडकर की खुद की संपत्ति भी करोड़ों में है. वह ऑडी में सफर करती हैं और इनके परिवार की प्रॉपर्टी भी चर्चा में है.
क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर क्या हैं?
सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में ओबीसी कैंडिडेट्स के लिए 27% आरक्षण रखा गया है. इसका लाभ उठाने के लिए सरकार ने कुछ नियम बनाए हैं. ओबीसी वर्ग का हर उम्मीदवार इसका फायदा नहीं उठा सकता है.
ओबीसी कैंडिडेट्स को 2 लेयर यानी क्रीमी और नॉन क्रीमी लेयर में बांटा गया है. सरकार के नियमों के अनुसार, सिर्फ नॉन क्रीमी लेयर ओबीसी कैंडिडेट को ही आरक्षण मिलता है. पूजा क्रीमी लेयर ओबीसी कैंडिडेट हैं. इसीलिए उनकी पात्रता पर सवाल खड़े हो गए हैं.
यूपीएससी रिजर्वेशन पॉलिसी में क्रीमी लेयर ओबीसी क्या है?
अगर किसी परिवार की सालाना इनकम 8 लाख रुपये से ज्यादा है तो उसे क्रीमी लेयर की श्रेणी में रखा जाता है. इनकी आय में सैलरी और कृषि से होने वाली कमाई शामिल नहीं है. वहीं, अगर किसी परिवार की सालाना इनकम 8 लाख रुपये से कम है तो उसे नॉन क्रीमी लेयर की श्रेणी में रखा जाता है यूपीएससी में क्रीमी लेयर ओबीसी कैंडिडेट को आरक्षण की सुविधा नहीं दी जाती है.
अगर ओबीसी कैंडिडेट के परिवार में से कोई राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के जज, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक और मुख्य निर्वाचन आयुक्त जैसी सरकारी नौकरी में है तो इन्हें क्रीमी लेयर कैटेगरी में रखा जाएगा.
PSUs, यूनिवर्सिटीज, बैंक, बीमा कंपनियों के अधिकारी, डॉक्टर, इंजीनियर, किसी सेवा या निजी कंपनी में अधिकारी, सेना में कर्नल या उससे ऊपर की रैंक का अधिकारी या वायुसेना, नौसेना और पैरामिलिटरी में समान रैंक के अधिकारी को क्रीमी लेयर में गिना जाता है. अगर इन उम्मीदवारों के परिवार का शहर में अपना घर, अच्छी इनकम और जमीन है तो उन्हें ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जाता है.
इनपुट न्यूज 18 नेटवर्क
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