छतरपुर से धीरज चतुर्वेदी।
वर्षो बाद किसान की जिदंगी में इस साल सुख का मौका आया है जब फसल बिना किसी विपदा के खेतों मे लहलहा रही है। बंपर पैदावर की उम्मीद से किसान उत्साहित है तो वहीं शराब ठेकेदारो की नजर भी लग गई है। तभी तो पूरे बुंदेलखंड में शराब के ठेके पिछले साल की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक पर नवीनीकृत हो गये। अनुमान के मुताबिक इस बार करीब 6 अरब की दारू बुंदेलखंड में लोग गटक जायेंगे। मध्यप्रदेश सरकार की कथनी अनुसार नये शराब के ठेके नही खुलेगें पर मंहगी दारू पिलाकर लोगों के जेबे ढीली करने की करनी से संकोच नहीं है।
जो बुंदेलखंड बूंद-बूंद पानी को तरसता रहा है, वहां के लोग इस साल छह अरब से अधिक कीमत की शराब गटक जायेंगे। सुनने में जरूर आश्चर्यजनक लग रहा होगा लेकिन सागर संभाग के पांच जिलों के अधिकांश शराब ठेकेदारों ने पिछले वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत आधिक्य पर ठेकों का नवीनीकरण करा लिया है।
यह तो सरकार की राजस्व आय का अनुमानित आंकड़ा है अगर इसमें नंबर दो यानि ब्लेक में बिकने वाली दारू का आंकड़ा जोड़ दिया जाये तो यह राशि दस अरब के लगभग पंहुच जाती है। क्या है ऐसा कि शराब ठेकेदार इस बार अत्यधिक उत्साहित नजर आ रहे है। तो जवाब में किसानों की फसल पर उनकी नजर लग चुकी है। वर्षो से सूखा झेल रहे बुंदेलखंड के किसान सुखद उम्मीदो में है। सागर संभाग के पांच जिलों में इस वर्ष 2016-17 में 498.14 हजार हेक्टेयर में गेहू बोया गया है। औसत से अधिक बारिश होने से खेती के रकवा ने लक्ष्य से 82 प्रतिशत की पूर्ति की है। कृषि विभाग ने 2016-17 में रबी फसल का लक्ष्य 1600.67 हजार हेक्टेयर रखा था पर 1313.67 हजार हेक्टेयर पर ही बुबाई हुई है। बुबाई के आंकडे और बिना किसी आपदा विपदा के बंपर फसल की आस से शराब ठेकदारो की भी उम्मीदे बढी है कि किसान की जेब भारी होगी तो उनका धंधा भी अच्छा चलेगा।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष यानि 2015-2016 के शराब ठेको के आंकडो पर नजर डाली जाये तो सागर संभागीय मुख्यालय में सरकार ने 35 मदिरा समूह से 2 अरब 1 करोड 1 लाख 52 हजार 355 रूपये से अधिक की आय प्राप्त की थी। दमोह जिले में 41 देशी और 17 विदेशी मदिरा की दुकाने है। यहां की दुकाने 92 करोड 72 लाख 67 हजार 829 रूपये में आंबटित हुई थी। छतरपुर जिले में 74 देशी और 19 विदेशी मदिरा की दुकाने 92 करोड 97 लाख 53 हजार 280 रूपये में नीलाम हुई थी। पन्ना जिले में 43 मदिरा दुकाने 42 करोड 26 लाख 9 हजार रूपये में आंबटित हुई थी। वही टीकमगढ जिले में 27 समूह की सरकारी बोली 100 करोड 60 लाख 34768 निर्धारित की गई थी। जहां लक्ष्य को पूरा नही किया जा सका मगर करीब लक्ष्य के समीप ही दारू के ठेके आंबटित हुये थे। इस बार 2017-18 वर्ष दौरान सरकार ने पिछले साल की नीलामी से 15 प्रतिशत आधिक्य पर आंबटन का आफर दिया था। जिस पर सागर संभाग की अधिकांश शराब दुकाने इस अधिक मूल्य पर नवीनीकृत कर दी गई। इस लिहाज से अनुमान है कि सरकार को करीब 5.5 अरब रूपये की राजस्व प्राप्ती होगी।
यह आंकड़े साफ तौर पर इशारा कर रहे हैं कि बुंदेलखंड में सूखा हो या अन्नदाता भूखमरी के हालातों से गुजर रहा हो लेकिन शराब की बिक्री पर इसका कोई प्रभाव नही पडा है। महत्वपूर्ण है कि यह आंकडे तो सरकारी बोली से राजस्व आय के है। समूचे बंुदेलखंड में शराब की कालाबाजारी यानि ब्लेक में बेची जाने वाली शराब का आंकडा जोड दिया जाये तो यह राशि करीब 10 अरब रूपये पंहुच जाती है। इस बार चूंकी फसल भी उम्मीदो भरी है इस कारण किसान की झोली भी भरी रहेगी तो शराब ठेकेदार भी इस सुनहरे मौके में अपना मौका तलाश रहे है। शराब ठेकेदार हीरा राय का कहना है कि सरकार की योजना अनुसार 15 प्रतिशत अधिक मूल्य पर ठेको के नवीनीकरण के पीछे किसानो की फसल और शादियो के मुहर्त अधिक होना है।
मुख्यमंत्री की घोषणा की मध्यप्रदेश में अब कोई भी नई शराब की दुकान नहीं खुलेगी, सुनने में जरूर रामराज्य की कल्पना परिलक्षित करने जैसा लगता है। दूसरी ओर शराब ठेकों से बढ़ते राजस्व से यह घोषणायें बेमानी सी नजर आती हैं। याद करे वर्ष 2010 में मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश बनाओ यात्रा में शराब बंदी की वकालत की थी। दूसरी ओर नई शराब की दुकाने खुलती रही। जनसंख्यां के आधार औसतन हर 12 हजार की जनसंख्यां पर एक शराब की दुकान खुली हुई है। खासकर मलिन, दलित और कमजोर तबके जिन मोहल्लों में निवास करते हैं। उस इलाके में देशी शराब का ठेका जरूर संचालित मिल जायेगा। कहा जाता है कि शराब का कोई मोल नही होता और ऐसी दुकान है जहां मोलभाव नही होता। अब ठेके मंहगे हो चले तो शराब भी मंहगी बिकेगी। जेब आखिर ढीली तो पीने वालों की होगी चाहे वो किसान हो या आमलोग।
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