राकेश दुबे।
हाल ही में एक सर्वे सामने आया है कि भारतीय युवकों का देश बाहर नौकरी करने का प्रतिशत घट रहा है। वैश्विक स्तर पर रोजगार संबंधी सूचनाएं देने वाली वेबसाइट इंडीड इंडिया ने यह सर्वेक्षण किया है। इंडीड इंडिया द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले साल अमेरिका में नौकरी के लिए जाने के इच्छुक भारतीयों की संख्या में 38 प्रतिशत की कमी आई। साथ ही ब्रिटेन जाने के इच्छुक भारतीयों की संख्या 42 प्रतिशत तक घटी है। खाड़ी देशों में जाने के इच्छुक भारतीयों की संख्या में 21 प्रतिशत की कमी आई है।
दरअसल, ये तीनों गंतव्य वे हैं, जहां ज्यादातर भारतीय नौकरियों के आकषर्ण में जाते रहे हैं। अब स्थिति बदलती दिखती है। भारत में नौकरी चाहने वाले ब्रिटेन गए लोगों की संख्या में 25 प्रतिशत इजाफा हुआ है। एशिया-प्रशांत से तो भारत में नौकरी चाहने वाले ऐसे लोगों की संख्या 170 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। विदेश जाने की इच्छा घटने के बावजूद सबसे ज्यादा भारतीय अभी भी अमेरिका जाना चाहते हैं। जहां तक ब्रिटेन की बात है,तो ब्रेजिक्ट की वजह से भारतीय नौकरी के लिए ब्रिटेन जाने से कतरा रहे हैं।
काफी समय से भारत ‘ब्रेन ड्रेन’ नाम की समस्या का सामना करता रहा है। सर्वेक्षण में जिस नये उभरे रुझान का पता चला है, उससे यकीनन ‘ब्रेन ड्रेन’ की समस्या का काफी हद तक समाधान मिल सकेगा।भारतीय युवाओं में रुझान रहा है कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद उच्चतर शिक्षा या रोजगार पाने की गरज से वे विदेश निकल जाते हैं। इस सफर पर निकल पड़ने से पूर्व भारत उनके शिक्षण-प्रशिक्षण काफी खर्च कर चुका होता है। लेकिन भारत में सेवाएं देने के बजाय उनके विदेश चले जाने से देश को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता रहा है। उच्च शिक्षित युवा विदेश में ‘सेटल’ होने को प्राथमिकता देते हैं, और भारत में पैसा कम भेजते हैं।
खाड़ी देशों में नौकरी करने वाले भारतीय जरूर ज्यादा पैसा अपने घर भेजते हैं, और इस तरह विदेशी मुद्रा भंडार में कहीं ज्यादा योगदान करते हैं। भारतीय युवाओं या श्रम बल का ये लोग वह हिस्सा हैं जिसके शिक्षण-प्रशिक्षण पर देश ने कोई ज्यादा खर्च किया नहीं होता। ज्यादातर अर्धकुशल किस्म के इन लोगों का लौटना थोड़ी चिंता का सबब जरूर है। विदेशों में जारी राजनीतिक अस्थिरता भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए इस रूप में वरदान सरीखी है कि विदेश से भारत की उच्च कुशलता वाली प्रतिभाएं देश लौटना चाहती हैं।
अब प्रश्न यह है की क्या भारत विदेश ने जाने वालों के लये या लौटकर आने वालों के लिए समुचित नौकरी देने की स्थिति में है? इस मामले पर सरकार चुप है, सरकारी और गैर सरकारी नौकरियों के सृजन की बात तो होती है, परिणाम नहीं आते। भारत सरकार को ऐसी प्रतिभाओं के पलायन और विदेश से लौटती प्रतिभाओं के व्यवस्थापन के लिए एक विशेष नीति बनाना चाहिए।
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