चुनावी प्रवास से लौटकर आशीष सागर।
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के प्रथम चरण का मतदान 11 फरवरी को हो गया। उत्तर प्रदेश (403 सीटें) सात चरणों में चुनाव होने है। जिसमें यूपी बुन्देलखण्ड के सात जिलों में चौथे चरण में वोटिंग होनी है। 19 विधानसभा और 1.85 करोड़ से अधिक आबादी वाले बुन्देलखण्ड में जनता के अपने मुद्दे गायब हैं। ये काबिले गौर बात है कि ठीक चुनाव से पहले जो आवाम समाजवादी पार्टी की लचर कानून व्यवस्था,परिवार वाद,गायत्री प्रजापति के अवैध खनन साम्राज्य से त्रस्त थी, जो केंद्र सरकार की नोटबंदी पर तंज दे रही थी आज अपनी-अपनी जातीय गोलबंदी में लगी है। दलबदलू प्रत्याशी हो या बालू माफिया,अपराधी मतदाता अपनी पसंद अनुसार गुणगान करने में जुटा है। इलाकाई किसान नेता भी सपा-कांग्रेस गठबंधन से खनन माफिया रहे विधायक प्रत्याशी को सहजता से स्वीकार कर चुके हैं बल्कि जोर-शोर से उनके प्रचार में भी लगे हैं। आइये समझते हैं कैसा है बुंदेलखंड का चुनावी हाल…
चौथे चरण में (53 सीटें, 12 जिले) 30 जनवरी को नोटिफिकेशन, लास्ट डेट नोमिनेशन 6 फरवरी , स्कूटनी 7 फरवरीतक पूरी, विद्ड्रावल ऑफ कैडिडेचर 9फरवरी, 23 फरवरी को मतदान होगा।
पाठा में आदिवासी कोल जिन्हें राशन नहीं मिलता
बावजूद इसके बुंदेलखंड की जनता में अभी तक उनका चुनाव का मुद्दा क्या होगा ये तय नहीं है। बात करे बुन्देलखण्ड के ग्रामीण अंचल की तो मतदाता इस बार सर्जिकल स्ट्राइक की मुद्रा में मौन साधे है। उससे कुछ देर बात करने और कुरेदने के बाद अंदर की बात सामने आती है। बानगी के लिए चित्रकूट जिले की मानिकपुर विधानसभा से सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी संपत पाल,बीजेपी-आरके पटेल,बसपा-चन्द्रभान पटेल,बहुजन मुक्ति पार्टी-दद्दू प्रसाद,रालोद से दिनेश प्रसाद मिश्रा ने नामांकन कराया है। 9 प्रत्याशी अन्य दल से है। इस सीट पर करीब 70 हजार ब्राह्मण वोट,38 हजार आदिवासी कोल,तेरह हजार पाल और बाकि में अन्य सब है। यूपी की यह एकमात्र सीट है जिस पर बसपा के तीन बागी विधायक आमने-सामने है। (आरके पटेल,दद्दू प्रसाद,दिनेश मिश्रा)।
चुनाव की नब्ज टटोलने निकले आशीष सागर ने जब स्थानीय लोगों से संवाद किया तो बड़ी बात है कि पिछले तीन सूखे झेलने वाले अति जल संकट प्रभावित इस पाठा क्षेत्र में अबकी सूखा,पलायन,किसान मुद्दा नहीं है। शहरी गरीब लोग को आज तक कांशीराम आवास योजना का लाभ क्यों नहीं मिला भवन बन जाने के बाद ये सरकार से पूछने की हिमाकत नेता कैसे करे? आदिवासी मतदाता से लेकर आम किसान तक खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। कुरेदने के बाद बोलता है नोटबंदी ने गरीब की मौत कर दी,समाजवादी सरकार ने कम से कम हमें सूखे में तीन माह राशन तो दिया है,युवाओं को लैपटाप मिला है इसलिए वोट तो अखिलेश को देंगे।
दस्यु प्रभावित आदिवासी बाहुल्य गाँव नागर,लक्ष्मणपुर,बंधवा,कल्यानपुर,हल्दीडांडी हाल ख़राब हैं। यहाँ विकास के नाम पर सिर्फ पगडण्डी वाली सड़क है और गाँव तक बिजली पहुंची है। डकैत बबुली कोल का ये गढ़ है। आदिवासियों को अभी तक पीडीएस व्यवस्था में राशन कार्ड भी पूरी तरह नहीं मिले है। उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना से दूर रखा गया है। हाँ जिस आदिवासी कोल का गाँव के प्रधान से जुगाड़ बैठ गया उसको जरुर इंद्रा आवास मिला है पर उसको भी कोल भाइयों ने अपने मुताबिक पत्थर का गारा करते हुए खपरैल से बनाया है। जबकि अमूमन गाँव में ये ईट -सीमेंट के छत युक्त मिलते है. लक्ष्मणपुर के रहवासी कौशल गुप्ता कहते है कि पाठा में पानी के साधन नहीं है यहाँ गर्मी में 300 फिट में पानी नहीं मिलता है। गाँव के पन्द्रह हैंडपंप में से तीन चल रहे है,कुएं में आंशिक पानी है अगर पहाड़ की मरगदहा नदी न हो तो हम लोग प्यासे मर जायेंगे। इस गाँव के प्रधान मुन्नालाल कोल हैं। कौशल ने प्रधान पर आरोप लगाते हुए कहा कि गाँव का बोर (नलकूप) वो अपने मजरे में उखाड़ ले गए हैं। गाँव का युवा बाहर है क्योकि गाँव में काम नहीं है। जब उनसे सवाल पूछा कि वोट किसको देंगे तो उन्होंने कहा जहाँ सबका जायेगा वही दिया जायेगा!
यही उत्तर रामआसरे कोल (विकलांग ) ने दिया। उनके साथ खड़े बैंक मित्र रजनीश कुमार से जब पूछा गया कि आप वोट किसको करेंगे तो वे बोले जो विकास करेगा। विकास का मायने आपकी नजर में क्या है तो वे भी पार्टी के घोषणापत्र को विकास का दर्शन मानते है।नागर गाँव की
लिता,सियादुलारी ने बतलाया कि हमारे परिवार में जितने यूनिट सदस्य है उन सबके नाम समाजवादी राशन कार्ड में कोटेदार ने नहीं चढ़वाये हैं। सिर्फ पति-पत्नी का नाम लिखा है जिस पर मनमाना तरीके से राशन मिलता है। नागर के आदिवासी कांग्रेस समर्थक हैं पर वोट गठबंधन है को करेंगे। आलू खेती करने वाले किसान बलबीर बतलाते हैं खेती में बहुत घाटा है। आलू 5 किलो 35 रुपया का बिक रहा है ऐसे में हमारी लागत भी नहीं निकल पाती है। जब वोट का रुझान पूछा गया तो वे भी चुप हो गए बोले जिधर सबका जाई वहिने देब। मानिकपुर सीट में कांग्रेस की फाइटर संपत दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं उनके सामने सबको मात देने कड़ी टक्कर है।
चित्रकूट सदर सीट प्रत्याशी – सपा-कांग्रेस गठबंधन से वर्तमान विधायक वीर सिंह (डकैत शिवकुमार कुर्मी उर्फ़ ददुआ के बेटे),बीजेपी-चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय,बसपा- जगदीश गौतम,अन्य 9 भी खड़े हैं। पटेल जाति का यहाँ वर्चस्व है। इसलिए मुकाबला वीर सिंह के पक्ष में है पर त्रिकोणीय आसार है. यहाँ भी मानिकपुर की तरह जनता के मुद्दे सुनाई नहीं दिए हाँ गर्मी में अवश्य म्रत्यु शैया पर मंदाकनी,चित्रकूट को पर्यटन पटल पर विकसित करने की मांग,पहाड़ का खनन और बेरोजगारी जैसे मुद्दे चलते रहते है पर काम नहीं होता दिखता है। सिटिंग विधायक और सांसद जीतने के बाद पांच साल शिलान्यास और समारोह फीता काटते देखे जा सकते है।
पाला से मटर की सूखी खेती के साथ भरत कुशवाहा परिवार
बाँदा विधानसभा- सदर में सपा-कांग्रेस गठबंधन से वर्तमान विधायक विवेक सिंह,बीजेपी से प्रकाश दिवेदी,बसपा से मधुसूदन कुशवाहा,अन्य निर्दलीय प्रत्याशी समेत 18 मैदान में है। बबेरू सीट से सपा-कांग्रेस से वर्तमान विधायक विशम्भर यादव,बसपा से किरण यादव,बीजेपी से चन्द्रपाल कुशवाहा,अन्य चार, तिंदवारी सीट सपा-कांग्रेस वर्तमान विधायक दलजीत सिंह,बीजेपी ब्रजेश प्रजापति,बसपा से जगदीश प्रजापति,अन्य 8 लोग प्रत्याशी है। नरैनी (सुरक्षित सीट) – बसपा से वर्तमान विधायक गयाचरण दिनकर,सपा -कांग्रेस से भरत लाल दिवाकर,बीजेपी राजकरन कबीर,अन्य 10। बाँदा में स्थानीय जनता अपने मुद्दे भूलकर दो गुट में बंट गई है।
यहाँ जातीय समीकरण पर चुनाव होगा। सदर सीट में ब्राह्मण बनाम क्षत्रिय युद्ध के आसार है। सपा के गठबंधन से कांग्रेस के विवेक सिंह को मुस्लिम वोट मिलने के आसार है लेकिन बसपा के मधुसूदन कुशवाहा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कुशवाहा जाति का यहाँ अतर्रा-शहर में अच्छा वोट बैंक है जिससे मुकाबला कांटे का है। उधर तिंदवारी में इस बार दलजीत सिंह की राह आसान नहीं है। उनके सामने निषाद बाहुल्य सीट पर सपा के राज्य सभा सांसद विशम्भर निषाद ने आंतरिक विद्रोह करते हुए पहले तो खुला विरोध किया। वे अपनी पत्नी शकुन्तला निषाद के टिकट कटने से नाराज थे। बाद में सपा जिलाध्यक्ष शमीम बांद्वी ने जब सीएम से शिकायत की तो निषाद जाति के डाक्टर अच्छे लाल निषाद को मैदान में उतार दिया है। सूत्र ये भी कहते हैं कि निषादों ने अबकी बसपा को वोट करने का मन बना लिया है।
धान न बिकने से निराश किसान
दलजीत के राजनीतिक सफ़र को रोकने के लिए सपा छोड़कर बीजेपी में आये फिर बागी हुए रामकरण सिंह बच्चन भी रालोद से चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी के ब्रजेश प्रजापति बसपा छोड़कर स्वामी प्रसाद मौर्या के साथ बीजेपी में आये हैं। नरैनी सीट से अबकी दफा सपा-गठबंधन के आसार ठीक लग रहे है। यहाँ बसपा के गढ़ रहे तमाम गाँव में अखिलेश समर्थक देखे जा सकते है। ऐसे ही एक गाँव असेनी में मुस्लिम मतदाता सज्जो खातून कहती है नमक खाया है दगा नहीं करेंगे वोट सीएम को जायेगा,नोटबंदी ने महिला प्रसव में रुपयों के लाले कर दिए मोदी को तो वोट नहीं देंगे। बबेरू सीट से सिटिंग विधायक का मामला इस बार कमजोर दिखता है वहां बसपा की किरण यादव खबर लिखे जाने तक आगे है,चंद्रपाल कमल खिलाने को प्रयासरत है उनके साथ पूर्व मंत्री शिवशंकर पटेल आ गए हैं। बाँदा में सूखे के समय चर्चित घास की रोटी,किसान आत्महत्या,बंद इंडस्ट्री-कताई मिल,शजर उद्योग,बुनकरी-शिल्प, अतर्रा में विलुप्त होती धान ( प्रजाति रामभोग,महाचिन्नावर,परसन बादशाह ) मिल,कालिंजर किले को प्रदेश टूरिज्म में उच्च सोपान दिलाने,बदहाल हाइवे 76,रेलवे मार्ग का दोहरीकरण,केन का खनन,जंगल की लूट मुद्दा नहीं बन सका है। प्रत्याशी अपनी निधि में खर्च किये गए अंशदान (कमीशन लेकर) सीसी,बंधी,स्कूल भवन निर्माण आदि की वाहवाही में बरगलाकर वोट मांग रहे है।
जाहिर है जब चुनाव में बालू माफिया उतरे हो तो खनन की बात कौन करेगा ? दो हजार क्विंटल धान लिए अतर्रा मण्डी में अनशन पे बैठे किसान का दुःख सालने की फुर्सत नेता के पास कहाँ है ? मटोंध कस्बे में खेत पर मटर की पाले से सूखी फसल पर रोते भरत कुशवाहा पुत्र जगदीश कुशवाहा,सहभागिनी चमेली देवी जो यह कहती है फटकार के कि खेत को पानी मिलता तो ये खेती न सूखती। हम बटाईदार हैं श्रम हम करते है लेकिन सूखे का मुआवजा हमारे बड़े किसान ले जाते है। सरकार किसान के साथ उसकी हैसियत देखकर न्याय क्यों नहीं करती ? क्या बलकट पर खेती लेने वाला / बटाईदार किसान नहीं होता ? मौसम से सट्टा तो हम ही खेलते है मौज बड़े कास्तकार मारते है ! ये किसान वोट की बात पर चुप रहा।
आलू की खेती में परेशां किसान
महोबा विधानसभा- सदर सीट में बसपा से अरिमर्दन सिंह नाना (पहाड़ माफिया),सपा गठबंधन से सिद्धगोपाल साहू ( पहाड़ माफिया ), बीजेपी से बसपा के बागी राकेश गोस्वामी ( अंटा विधायक ),रालोद से उत्तम सिंह,अन्य 6. राजपूत जाति से संपन्न चरखारी सीट से बसपा के जितेन्द्र मिश्रा,सपा गठबंधन- उर्मिला राजपूत,बीजेपी से गंगा चरण राजपूत के बेटे ब्रजभूषण राजपूत,रालोद से दिलीप यादव,अन्य 7 मैदान में है। यहाँ सदर में सपा-बसपा में सीधी टक्कर है वही चरखारी में बीजेपी मजबूत दिख रही है। चुनाव के मुद्दों की बात करे तो किसानों के पान की खेती,पहाड़ का दिनरात खनन,जर्जर सड़के,परिवहन,बदहाल चिकित्सा,रोजगार,किसान आत्महत्या,अर्जुन नदी सहायक बांध परियोजना,केन-बेतवा लिंक,परती खेती,महोबा का चन्देल पर्यटन,चरखारी का कश्मीर और 184 दिन से अनशन में बैठे सत्याग्रही पत्रकार तारा पाटकर के एम्स की मांग भी चुनाव का मुद्दा नहीं है। बीते दिन पीएम मोदी परिवर्तन यात्रा का आगाज महोबा से किये पर महोबा में किसान को बिना कुछ दिए,एम्स पर चुप्पी साध कर फुर्र हो गए। तारा पाटकर कहते है ये मेरा अनशन तब तक चलेगा जब तक महोबा को माकूल इलाज के साधन नहीं मिल जाते. जो पार्टी का एजेंडा है वो ही वोटर की जुबान में बोल रहा है।बुन्देलखण्ड के सर्वाधिक पानी संकट वाले जिले से पानी की बात पर नेता मौन है। बकौल युवा किसान पंकज सिंह परिहार यहाँ के बरा,बिलबई,गुगौरा,गंज,जुझार,डडहत माफ़ी,पनवाड़ी के सैकड़ो गाँव में पलायन की विभित्सिका है। 16 से 30 बरस का युवा घर से दूर अपने सपनों को बटोर रहा है और गाँव में बुजुर्ग खेत की बदसूरती को क्रेशर के गुबार में निराहते रहते है कि हमारा भाग्यविधाता कब बदलेगा ? जो भी आता है किसान को आंसू देकर अपना घर भरता है !
हमीरपुर विधानसभा- सदर से बीजेपी के अशोक चंदेल,सपा से डाक्टर मनोज प्रजापति,बसपा से संजय दीक्षित प्रत्याशी है। राठ सीट से बीजेपी की मनीषा अनुरागी,कांग्रेस से गयादीन अनुरागी (वर्तमान विधायक),बसपा से अनिल अहिरवार मैदान में है। राठ में राजपूत वोट अधिक है। यहाँ से विधायक गयादीन अनुरागी की सीट इस बार मुसीबत में है। हमीरपुर में बीजेपी के आसार ठीक है।
झाँसी विधानसभा- सदर सीट से बीजेपी-रवि शर्मा,कांग्रेस-राहुल राय,रालोद-उमेश यादव,लोकदल-रामनाथ,शिवसेना-शंकर लाल कुशवाहा,भाकपा-लक्ष्मण सिंह प्रत्याशी है. बबीना सीट से सपा- यशपाल सिंह यादव,बीजेपी- राजीव सिंह परीछा,बसपा-कृष्णपाल राजपूत,शिवसेना-किरण देवी,रालोद-ओमवीर,जनअधिकार मंच – कालीचरण प्रत्याशी है। मऊरानीपुर सीट से बसपा- प्रागीलाल,बीजेपी-बिहारी लाल आर्य,सपा से रश्मि आर्य (वर्तमान विधायक,शिवसेना- अनिल,अन्य 7। गरोठा सीट से सपा- दीपनारायण सिंह यादव(वर्तमान विधायक),बीजेपी-जवाहर लाल राजपूत,बसपा-डाक्टर अरुण कुमार मिश्रा,रालोद-गुलाब सिंह,अन्य 8 मैदान में है। वैसे तो मऊरानीपुर सीट से विधायक रही रश्मि आर्य और उनके पति पप्पू सेठ के चर्चे पांच साल अकूत दौलत बनाने,सुखनई नदी में अवैध खनन करवाने को लेकर चर्चा में रहे है। शहर में निर्माणधीन ओवरब्रिज पुल जो विधायक की उपलब्धि कही जा सकती है के सिवा इस सीट में उनका खाश विकास नहीं दिखता है जबकि कभी महशूर रहे रानीपुर टेरीकाट की पुनर्स्थापना और इलाके में ताबड-तोड़ हुई किसान आत्महत्या को रोकने में बहुत कुछ किया जा सकता था. स्थानीय किसान नेता शिवनारायण सिंह परिहार इस बावत कहते है चुनाव में किसान की सुध किसको है और जनता भी तो वोट करते समय अपने जातिगत मसले को ध्यान देती है तभी रोती है। तालबेहट,बंगरा,धमना गाँव में किसान के हाल देखना चाहिए। जिले की गरोठा सीट से सपा के बुन्देली रईस बाहुबली,बालू ठेकेदार विधायक दीपनारायण के सामने किसान नेता और बीजेपी उम्मीदवार जवाहर लाल राजपूत ने दंगल को और अधिक दिलचस्प बना दिया है। उन्होंने हाल ही में अपने नामांकन में बैलगाड़ी का प्रयोग किया जिसे देखकर चित्रकूट में भी यही किया गया। वे कहते है मैंने किसानों की लड़ाई लड़ी है,धरना दिया,मुआवजा दिलाया तब पार्टी ने भरोसा किया है यहाँ लोग 200 गाड़ियों के काफिले के विरोध पर मेरा साथ देने को दिख रहे है। खैर इसका निर्णय तो मतगणना के दिन ही हो सकेगा कि कौन कितना भारी है और कौन लोकतंत्र पर बीमारी है ? झाँसी सदर में कांग्रेस के राहुल राय युवा चेहरा है उनका सीधा मुकाबला बीजेपी से है। कांग्रेस के स्टार प्रचारक और पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन आदित्य जमकर अपने प्रत्याशी का प्रचार कर रहे है। झाँसी में बुन्देलखण्ड राज्य,एम्स दिलाने और रोजगार के लिए आर्थिक हब,आईटी क्षेत्र विकसित करने,बुन्देलखण्ड पॅकेज की जाँच आदि बाते सियासी जमात के मुंह पर नहीं है।
ललितपुर विधानसभा- सदर से बीजेपी के रामरतन कुशवाहा,बसपा- संतोष कुशवाहा,सपा-ज्योति सिंह लोधी,सीपीआई-पर्वत लाल,अन्य 7 प्रत्याशी है। महरौनी सीट से सपा-रमेश खटीक,बीजेपी-मनोहर लाल पंथ,बसपा- फेरनलाल अहिरवार,कांग्रेस-ब्रजलाल खाबरी,अपना दल-रामलाल,सीपीआई-आराधना,अन्य 7 चुनाव में है। इस जिले को एशिया के सबसे अधिक बांधों वाला,वन्य सम्पदा से सम्रद्ध एमपी की सीमा से लगा हुआ माना जाता है। गर्मी में भयावह जलसंकट से लड़ने वाले जिले में इसी वर्ष बाढ़ भी आ गई थी. वर्ष 2015 के फरवरी माह में तीन माह के अन्दर यहाँ 67 किसान मौत हुई जिनके घरों में विधवा प्रलाप,गरीबी और सहरिया आदिवासी के मध्य सरकारी तंत्र की उपेक्षा-कुपोषण देखा जा सकता है.योगेन्द्र यादव (स्वराज्य अभियान ) की घास की रोटी पर सवाल बंद है ! बजाज पावर प्लांट में किसान की कृषि भूमि का लेना और बदले में उन्हें बिजली,रोजगार से वंचित करना ज्वलंत बात थी लेकिन ये चुनाव का मुद्दा न होकर मतदाता पार्टीबाजी के अपने हित में उलझा है। माहौल के मुताबिक यहाँ से अभी कांग्रेस का प्रत्याशी सबल है जिन्हें सियासी अनुभव है।
जालौन विधानसभा- सदर सीट से बीजेपी- गौरीशंकर वर्मा,बसपा-विजय चौधरी,सपा-महेंद्र कठेरिया,अन्य 4.कालपी से बीजेपी- नरेंद्र सिंह जादौन,कांग्रेस-उमाकांति,बसपा-छोटे सिंह चौहान,रालोद-राहुल शर्मा,माधोगढ़ सीट से बीजेपी-मूलचंद्र निरंजन,बसपा-गिरीश अवस्थी,कांग्रेस- विनोद चतुर्वेदी,अन्य 10 प्रत्याशी है. गौरतलब है यमुना की पट्टी और पचनद के इस क्षेत्र में माधोगढ़ के गुड़ की मिठास पर अब सियासत बंद हो चुकी है। एक समय निर्भय गुर्जर,फूलन देवी की बीहड़ सल्तनत से आबाद रहे जालौन में कभी खेती किसानी से सम्पन्न यहाँ का किसान अब पिपरमेंट की खेती करने,अनियमित वर्षा से पीड़ित है। आटा स्टेशन के मसगाँव निवासी संतशरण शुक्ल,अरुण,परवीन की माने तो औरैया जिले से कालपी सीट लगती है। ठेठ बुन्देली भाषा से मजबूत जिले में बीजेपी-सपा-बसपा त्रिकोणीय चुनावी जंग की सुबुगाहट आ रही है अंतिम फैसला जनता ही करेगी। बुन्देलखण्ड के अन्य जिलों की बनिस्बत जालौन में बारिश इस साल कम हुई है पर पानी के साधन की बात चुनाव बीसात में नहीं उठ रही है। देश बदल रहा है,नोटबंदी से काला धन आया है और सरकार बनी तो भ्रष्टाचार,गुंडाराज ख़तम होगा ये नशा वोटर के दिमाग में घुन की तरह लग गया है।
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