मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की मुश्किलें बढ़ गई है। क्योंकि प्रदेश के करीब 15 हजार सरकारी डॉक्टर हड़ताल पर है। ग्वालियर में समय पर इलाज नहीं मिलने पर एक मरीज की मौत हो गई। इधर सरकार वैकल्पिक व्यवस्था में लगी है।
साथ ही हड़ताली डॉक्टरों को मनाने की भी कोशिश कर रही है। इधर हाईकोर्ट ने हड़ताल पर सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध बताते हुए तत्काल काम पर लौटने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट ने प्रदेश में जारी डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध ठहराया है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि हड़ताल पर बैठे सभी डॉक्टर तत्काल काम पर लौटे। डॉक्टर अस्पताल में मौजूद अंतिम मरीज का भी इलाज करें।
हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि आगे से बिना अनुमति हड़ताल नहीं करें। भविष्य में टोकन स्ट्राइक को भी हाईकोर्ट ने अवैध बताया। याचिका जबलपुर के पूर्व पार्षद इंद्रजीत कुंवर पाल सिंह ने लगाई थी। जिस पर चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई।
मप्र शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ के मुख्य संयोजक डॉ. राकेश मालवीय ने कहा कि पिछले 10 साल से अपने मुद्दों और परेशानियों को लेकर सरकार के पास जा रहे हैं।
कभी-कभी तो सरकार के प्रतिनिधि वर्षों तक बात नहीं करते। जब हम आंदोलन करते हैं, तो वो बात करते हैं। हड़ताल खत्म कराने के लिए हर बार आश्वासन का झुनझुना पकड़ा देते हैं।
आज फिर से डॉक्टर्स एकजुट हुए हैं। उद्देश्य यही है कि जब तक मांगों को लेकर आदेश जारी नहीं हो जाते, तब तक पीछे नहीं हटेंगे।
हालांकि हाईकोर्ट के आदेश पर उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के निर्देश के संबंध में संगठन पदाधिकारियों की मीटिंग बुलाई गई है। उन्होंने डॉक्टरी काम में अधिकारियों के दखल पर नाराजगी भी जताई।
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