मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन आज गुरुवार 19 दिसंबर को निजी विद्यालय फीस संशोधन विधेयक 2024 पास कर दिया गया। विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने निजी स्कूलों को बंद करने की मांग की, जबकि सरकार ने इस विधेयक को पारित कर दिया। विपक्ष का आरोप था कि सरकारी शिक्षकों को ज्यादा वेतन मिलते हुए भी छात्र संख्या कम है, जबकि निजी स्कूलों में कम वेतन और अधिक छात्रों के बावजूद वे उच्च फीस लेते हैं।
कांग्रेस विधायक फुंदेलाल मार्को ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों, जैसे एसपी और कलेक्टर, के बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजने का प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए यह जरूरी है। साथ ही, उन्होंने निजी स्कूलों में आरक्षण प्रणाली लागू करने की मांग की, ताकि एसएसी, एसटी और अन्य पिछड़े वर्गों को समान शिक्षा का अवसर मिल सके।
कांग्रेस विधायक राजन मंडलोई ने कहा कि यदि सरकार के पास पर्याप्त बजट है, तो निजी स्कूलों को बंद करना चाहिए और सरकारी स्कूलों से ही विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देनी चाहिए। उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने निजी स्कूलों में कमीशन के खेल और बिल में छुपी फीसों का विरोध किया।
कांग्रेस विधायक रामकिशोर दोगने ने प्रदेश में शिक्षा माफिया के बढ़ते प्रभाव की निंदा की। उन्होंने आरोप लगाया कि विधायक और अधिकारी अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजते हैं, जिससे शिक्षा माफियाओं को बढ़ावा मिलता है। इसके जवाब में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि कांग्रेस विधायक खुद भी निजी स्कूल चलाते हैं, इसलिए इस मुद्दे पर उनकी बातों का असर नहीं पड़ता।
स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि इस विधेयक से निजी स्कूलों की निगरानी कड़ी की जाएगी। उन्होंने बताया कि राज्य में 34,000 निजी स्कूल हैं, जिनमें से 21,000 स्कूलों की फीस 25,000 से कम है।
25 हजार से ज्यादा फीस लेने वाले स्कूलो पर नियम लागू होगी। उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था में फीस वृद्धि की शिकायतों को गंभीरता से लिया जाएगा और इसे जल्दी सुलझाया जाएगा। मंत्री ने यह भी कहा कि स्कूलों में यौन उत्पीड़न के मामलों में सख्त कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में ड्रॉप आउट की समस्या को भी हल किया जाएगा और अतिथि शिक्षकों को समायोजित करने की योजना बनाई जा रही है।
स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने विधेयक को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का मध्यप्रदेश में पूरी तरह से पालन हो रहा है। निजी स्कूलों की फीस की निगरानी के लिये मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में बड़ा फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि अब निजी स्कूल मनमाने तरीके से स्कूल फीस नही बढ़ा पाएंगे। नियम के तहत जिला स्तर और विभाग स्तर पर बनाई समितियों से अनुमति लेनी होगी।
मंत्री ने कहा कि आरटीआई के दायरे वाले स्कूलों में जाति के आधार पर बच्चों के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा। परिवहन की सुविधा देने वाले स्कूलों को पोर्टल में प्रति किलोमीटर के हिसाब से फीस अपडेट करनी होगी। निजी स्कूलों में संचालित परिवहन व्यवस्था पर स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि जो निजी स्कूल परिवहन संचालित करता है अब उनकी सतत निगरानी की जाएगी।
अब स्कूलों को पोर्टल पर सारी जानकारी अपलोड करनी होगी और शासन के नियमों के दायरे में उनको काम करना होगा। मंत्री ने कहा कि फीस को लेकर शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठित की जाएगी। कमेटी में स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे और जो अंतिम रूप से फीस आदि के मामलों का निराकरण करेंगे।
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