मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्य प्रदेश के निजी स्कूलों में लगातार बच्चों के साथ हो रही घटनाओं को लेकर बाल आयोग सख्त हो गया है।
स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर आयोग ने एसओपी जारी की है।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्कूलों को कुछ बिन्दुओं की एसओपी जारी की है।
ज्ञातव्य है कि भोपाल के एक निजी स्कूल के बस ड्राइवर ने 8 सितंबर को साढ़े तीन साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। इसमें बस में मौजूद महिला अटेंडर ने भी बच्ची को नहीं बचाया।
इस मामले में बच्ची के माता-पिता ने स्कूल प्रबंधन को शिकायत की थी। स्कूल प्रबंधन ने मामले में लीपापोती कर क्लीन चिट दे दी थी।
जिसके बाद बच्ची के परिजनों ने पुलिस को पूरी घटना बता कर केस दर्ज करवाया था।
हालांकि आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है।
दुष्कर्म मामले में महिला थाने ने आरोपी को जिला कोर्ट में पेश किया था। जिला कोर्ट ने एक दिन की पीआर के बाद दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया।
मंगलवार के दिन पुलिस को एक दिन की रिमांड मिली थी। आरोपी ड्राइवर के साथ कंडेक्टर ने भी माना कि बच्ची के साथ गलत काम हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नेहरू नगर से कलियासोत डैम के बीच घटना हुई थी।
दरअसल प्रदेश में बच्चों के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध दर्ज हो रहें हैं।
लगातार दूसरे साल एमपी बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध में पहले स्थान पर है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2021 में प्रदेश में बच्चों के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज किए गए है। 2021 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 19,173 केस दर्ज किए गए है जो कि देश में सबसे अधिक है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां साल दर साल बच्चों के खिलाफ अपराधों में लगातार वृद्धि दर्ज की है और पिछले एक दशक (2011-2021) में बच्चों के खिलाफ अपराध में 337% फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
मध्य प्रदेश में 2011 में कुल मामलों की संख्या 4,383 थी जो 2021 में 19,173 हो गई है।
स्कूलों में प्रार्थना के बाद एवं छुट्टी के पहले 10 मिनट गुड टच एवं बैड टच की बच्चों को दी जाए जानकारी।
प्राइवेट स्कूलों में बाल सहायता एवं सुझाव समिति का गठन किया जाए।
जिसमें प्राइमरी, मिडिल एवं हाई सेकेंडरी में से एक-एक अभिभावक कुल तीन अभिभावकों को समिति में शामिल करें।
समिति की प्रत्येक माह में बैठक हो, बैठक की रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भेजी जाए।
स्कूल आवागमन के साधनों में महिला चालकों को प्राथमिकता दिए जाए।
स्कूल आवागमन की व्यवस्था में उच्च न्यायालय की गाइडलाइन का पालन हो।
सीसीटीवी कैमरे के डीबीआर का डाटा कम से कम 30 दिनों तक रखा जाए।
स्कूल से जुड़े सभी कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन हो।
प्री प्राइमरी में प्राथमिकता के साथ 75 फीसदी महिलाएं स्टाफ ही रखना सुनिश्चित करें।
15 दिनों में एसओपी का पालन सुनिश्चित कर बाल आयोग को अवगत कराएं।
Comments