मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश में विधानसभा उपाध्यक्ष के पद को लेकर एक बार फिर सियासत तेज होती दिख रही है। सरकार के गठन के एक साल बाद भी विधानसभा के उपाध्यक्ष का चयन नहीं हो पाया है। दरअसल कांग्रेस पार्टी शुरु से कहती आई है कि विधानसभा में उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के पास ही जाता है लिहाजा उपाध्यक्ष पद पर नैतिकता के आधार पर कांग्रेस का अधिकार है।
कांग्रेस ने एक बार फिर से इस पद पर हक जताया है। उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देने की मांग की है। उन्होंने पत्र की एक कॉपी सीएम डॉ. मोहन यादव, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय को भी भेजी है।
हेमंत कटारे का कहना है कि संसदीय परंपरा के मुताबिक विधानसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिया जाता है, इसलिए यह पद कांग्रेस को देना चाहिए। हालांकि कांग्रेस के इस तर्क को देखते हुए भाजपा की तरफ से अब तक किसी को भी विधानसभा में उपाध्यक्ष नहीं बनाया गया है। वहीं भाजपा में भी जो लोग मंत्री नहीं बन पाए वो सभी चाहते हैं कि कुछ नहीं तो विधानसभा का उपाध्यक्ष ही बना दिया जाए। लेकिन पार्टी के अंदर पद की खींचतान को देखते हुए विधानसभा उपाध्यक्ष को लेकर फैसला नहीं हो पाया है।
दरअसल 15वीं विधानसभा के गठन के बाद अध्यक्ष के निर्वाचन के समय भाजपा ने परंपरा को तोड़ते हुए अपना उम्मीदवार मैदान में उतार दिया था। इसके बाद से ही उपाध्यक्ष को लेकर भी दोनों पार्टियों के बीच विवाद की स्थिति बन गई थी। इसके पहले अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव आपसी सहमति से निर्विरोध कर लिया जाता था। जहां अध्यक्ष का पद सत्ता पक्ष के पास रहता था तो वहीं उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दे दिया जाता था। लेकिन 2018 में कांग्रेस ने जब अध्यक्ष पद के लिए एनपी प्रजापति का नाम सामने किया था तो भाजपा ने जगदीश देवड़ा को मैदान में उतार दिया। हालांकि देवड़ा चुनाव हार गए थे। इसके बाद कांग्रेस ने उपाध्यक्ष का पद भी विपक्ष को नहीं दिया
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