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इंग्लिश बताकर बेचा जा रहा था महाकाव्य का हिंदी वर्जन,लेखक ने दर्ज कराया मामला

मीडिया            Aug 04, 2015


मल्हार मीडिया डेस्क हिंदी महाकाव्य की एक किताब को आॅनलाईन तीन गुना ज्यादा दाम पर बेचा जा रहा है। इतना ही नहीं किताब को इंग्लिश वर्जन बताकर इसे बेचने के लिए ई-कॉमर्स साइट का भी इस्तेमाल हो रहा है। दूरदर्शन के पूर्व डायरेक्टर उद्भ्रांत उर्फ आर. के. शर्मा इसके लेखक हैं। जैसे ही उनको इसकी जानकारी मिली,उन्होंने कोतवाली सेक्टर 49 में मामला दर्ज कर दिया,जिसकी जांच शुरू हो चुकी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार साइट पर किताब के इंग्लिश वर्जन की जानकारी अपलोड की गई है, जबकि ऑर्डर देने पर हिंदी वाली बुक भेजी जा रही है। हिंदी में 2010 में ही प्रकाशित हो चुकी किताब पर 300 रुपए की कीमत प्रिंट है, जबकि उस साइट पर बुकिंग कराने पर बेची जा रही किताब पर 900 रुपए का स्टिकर लगा दिया गया है। सेक्टर-51 केंद्रीय विहार में रहने वाले किताब के राइटर और दूरदर्शन से डिप्टी डायरेक्टर जनरल की पोस्ट से रिटायर उद्भ्रांत उर्फ आर. के. शर्मा ने दिल्ली के पब्लिशर के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है। उद्भ्रांत उर्फ आर. के. शर्मा हिंदी के मशहूर लेखक हैं। वह 80 से ज्यादा काव्य संग्रह लिख चुके हैं। 2010 में उद्भ्रांत की लिखी काव्य पुस्तक 'अभिनव पांडव' का प्रकाशन दरियागंज के नैशनल पब्लिशिंग हाउस ने किया था। इसके हार्ड बाउंड संस्करण की कीमत 300 रुपए है। इस काव्य संग्रह का दूसरा संस्करण उसी कीमत पर 2012 में प्रकाशित हुआ था। पिछले दिनों हौधी धुआ तालचर ओडीसा के निवासी उनके इंजीनियर दोस्त दिनेश कुमार माली ने किताब बेचने के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अमेजन डॉट कॉम वेबसाइट पर विज्ञापन में बताया जा रहा है कि अभिनव पांडव (महाकाव्य) अंग्रेजी वर्जन में मौजूद किताब मुकेश पांडे द्वारा लिखी गई है। कवि के अनुसार उनके दोस्त को लगा कि उनकी किताब का अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है। दिनेश कुमार माली ने उस वेबसाइट के माध्यम से 900 रुपए अग्रिम भुगतान कर किताब का आर्डर किया। जब किताब उनके हाथ में आई तो पता लगा कि वह किताब अभिनव पांडव(महाकाव्य) ही है। कवर के नीचे नटराज और 900 रुपए का स्टीकर लगा हुआ था। अंदर के चौथे पृष्ठ पर मूल्य तीन सौ रुपये ही लिखा था। पुस्तक और टाइटिल नाम लेखक का सबकुछ वही है। मुकेश पांडेय का कहीं कोई नाम नहीं है। कवि का आरोप है कि कंपनी द्वारा किताब का भाषा, लेखक, हार्ड बाउंड की जगह पेपर बैक और तीन सौ रुपए की जगह 900 कर जानबूझ कर धोखाधड़ी की जा रही है। इस मामले में कंपनी और उसके डिस्ट्रीब्यूटर डी.के. पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स अंसारी रोड दरियागंज के खिलाफ पुलिस से लिखित शिकायत की है। पीड़ित ने पुलिस को दी गई शिकायत में कहा है कि इस बात की जांच हो कि कहीं मेरे प्रकाशक नेशनल पब्लिशिंग हाउस तो इसमें शामिल नहीं है। फिलहाल पीड़ित की शिकायत के आधार पर पुलिस विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। साभार समाचार4मीडिया


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