मल्हार मीडिया डेस्क
इंटरपोल के साथ चलाए गए एक अंतरराष्ट्रीय ऑपरेशन में दुनियाभर से 500 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और 15 कॉल सेंटर बंद किए गए हैं। यह कार्रवाई एशिया प्रशांत इलाक़े में लाखों डॉलर के फ़ोन और ईमेल घोटालों को लेकर की गई।
ऑपरेशन फ़र्स्ट फ़्लाइट 23 देशों में चला जिसके तहत इंडोनेशिया में सबसे ज़्यादा छापे मारे गए। इंडोनेशिया में 245 चीनी और ताइवानी नागरिकों को और कंबोडिया में 168 चीनी नागरिकों को हिरासत में लिया गया।
दो महीने लंबे इस ऑपरेशन के दौरान चीन, हांगकांग, कोरिया, थाईलैंड और वियतनाम में सर्वाधिक कोरियाई, नाइजीरियाई, फ़िलीपिनो, रूसी और ताइवानी नागरिकों को पकड़ा गया और 30 संदिग्ध कॉल सेंटरों की पहचान की गई।
इस तरह की धोखाधड़ी को ‘सोशल इंजीनियरिंग फ़्रॉड’ कहा जाता है जिसमें फ़ोन कॉल्स और सोशल मीडिया के ज़रिए लोगों को फंसाया जाता है और उनकी निजी और गोपनीय जानकारियां इकट्ठी की जाती हैं। इसके बाद इस जानकारी का वित्तीय फ़ायदा हासिल करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
चीन के जनसुरक्षा विभाग में इंटरनेशनल कोऑपरेशन डिपार्टमेंट में डिप्टी डायरेक्टर जनरल डुआन डाक़ी के मुताबिक़, ऑपरेशन फ़र्स्ट लाइट सोशल इंजीनियरिंग फ़्रॉड के सिंडीकेटों की पहचान और उन्हें ख़त्म करने में बेहद कामयाब रहा है। साथ ही इसने विदेशों में क़ानून लागू करने में लगे अधिकारियों के बीच अच्छे संबंध बनाए हैं। डुआन डाक़ी इंटरपोल की एक्ज़ीक्यूटिव कमेटी में एशिया के प्रतिनिधि हैं।
यह ऑपरेशन 29 अगस्त से 31 अक्टूबर के बीच चलाया गया, इसे इंटरपोल की भ्रष्टाचार निरोधी और वित्तीय अपराध देखने वाली यूनिट ने बैंकॉक स्थित दफ़्तर की मदद से चलाया।
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